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________________ मुहता नैणसीरी ख्यात [ ६६ ताहरां खीमै कह्यो-'मरणो हुतो तो मेडतैरी वेढ मरंत, पारकी धरती मांहै क्यु मरो ?'' ताहरां खांचनै आधो ले वहीर हुवो। ताहरा मलारणे थांणैदार हुतो कोई मुसलमान, तैसौ जाय मिळिया। ताहरा वे मुसलमान कह्यो-'हू थांनू रिणथंभोररै किलेदारसू मिळाइस । ऊ थांनूं पातसाहसू मिळासी । पछै रिणथभोररै किलेदारसू मिळिया। पछै वीरमदेजीनू अपातसाहरी हजूर ले गयो। पातसाहसू मिळायो। पछै वीरमदेजीसौ पातसाहजी महरबान हुवा । पछै वीरमदेजी मालदेजी ऊपर सूर पातसाहनू ले आया। पछै असी हजार घोड़ासू मालदे सांम्हां अजमेर आयो। ताहरां वीरमदेजी एक वुध उपाई।' वीस हजार रुपिया कूपैरै डेरै मेलिया । कह्यो-'म्हांन कावळा मेल देज्यो ।' अर वीस हजार रुपिया जैतैरै डेरै मेलिया । कह्यो-'म्हानू सीरोहीरी तरवारचा मूक देज्यो।" इसडा सा चिन्ह किया ।1 अर मालदेन कहाडियो-'जैतो कूपो पातसाहसू मिळिया छ । थांतू पकड़नै पातसाहनू देसी।1 तैरो द्रष्टात-'जे सवाया रुपिया यांरै डेरै देखो तो जांणज्यौ ।' ईयारै खरची घाली छै ।13 इतरैमे जलाल जळूको कहण लागो-पातसाह सलामत ! एक ऊवारी तरफरो तेड़ावो", पातसाहरी तरफसू हू हुईस'", अर उंवांरी" तरफरो सिपाही तेड़स्या, तै ऊपर हार-जीप थापो ।19 I मरना ही विचार लिया है तो मेडतेकी लडाईमे मर जाना था, दूसरोकी धरतीमे क्यो मरते हो ? 2 तव खीच करके दूर ले चला। 3 मलारण में कोई मुसलमान थानेदार था उससे जा मिले। 4 मैं तुमको रणथभोरके किलेदारसे मिलाऊगा। वह तुमको बादशाहसे मिलायेगा। 6 वह। 7 तब वीरमदेवजीने एक युक्ति विचारी। 8 हमको कवले भेज देना। 9 हमको सिरोहीकी तलवारें भेज देना। 10 इस प्रकार चालवाजी की। II तुमको पकड कर बादशाहके सुपुर्द कर देंगे। 12 जिसका प्रमाण यह है कि इनके डेरोमे यदि अतिरिक्त रुपये मिल जायें तो हमारी वात सच जानना। 13 इनको (बादशाहने) खर्च के लिए भेजे है। 14 इतनेमे। 15 एक उनकी अोरका आदमी बुलाया जाय । 16 वादशाहकी ओरका में हूगा। 17 उनकी। 18 बुलायेगे । 19 इसी बात पर हार-जीत तै कर लीजिये।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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