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________________ ર मुंहता नैणसीरी ख्यांत सूरजमल पूरे घावे पड़ियो । तिण वेढ़थी गिरवो छूटो । नै सूरजमरा दिया दहवारी बारे गांव वीझणो ने वांसोलो वीजा ही सांसण गाँव घणाई दिया सु अजेतांई' है । इण वेढ़ ही सादड़ी छूटी नहीं । पीढ़ी ४ ईणार रही । १ रावत खींवो मोकलरो । २ रावत सूरजमल । ३ रावत बाघ सूरजमलोत । चीतोड़ बहादररै मांमल कांम आयो ४ रावत वीको । एक दिन सीसोदिया रावत सूरजमल खींमावत ऊपर अजांणज़करो' कंवर प्रथीराज रायमलोत आयो, सु पहले दिन रांणों रायमल नै सूरजमल मांमलो हुवो थो, तठे रांणारी क्यू कम हुई थी" न सूरजमलरी वधती हुई थी । सु सूरजमलर क्यु हेक घाव लागा था नै दुजै दिन प्रथीराज टूट पड़ियो तद सूरजमलर घाव निपट घणा लागा । सु रजपूत सूरजमलरी डोळी' ले भाखरतू' नीसरिया, तरै वांस साथ प्रथीराज भाखर चाढ़े छै । सु प्रथीराजरो वनौ देवडो नै सूरजमल चाकर महियो अ दोनू बाभिया' । वनै महियानू मार 'लियो । अ दोन' ठोड़ दूोटो पावता " । नै महियो सीसोदियो छ । देवळिये रजपूत सीसोदिया सहसावत नै सोनगरा है । सीसोदियो जोगीदास जोधरो । जोध गोपाळरो । सहसो, खीमो मोकलरो । सु आज जोगीदास भलो रजपूत है । रावत वीको -वीकारो बेटो भांनो टीके" हुवो । नै चीतोड धणी राणों अमरसिंघ हुवो नै सैदन जीहरण मीमच छै"। दीवांणरै नउवो वाघरŠ हद छै । तठे रावत गोवंद खंगाररो चूडावत था। " 1 घावोंसे पूर्ण हो कर गिर पड़ा 12 से 3 अभी तक 4 अचानक 5 ( पराजित होने कारण) न्यूनता रही। बाजी ढोली रही । 6 और सूरजमलकी वाजी बढ़तीमें र 7 सोये हुए ग्राहत और मूच्छित व्यक्तिको कंधों पर उठा कर लेजानेको एक टिकटी । 8 पीछे। 9 लड़े । 10 दोनों स्थानोंमें ये दूसरोंसे दुगुना मुआवजा पाते थे । 11 गद्दी बैठा 12 जीहरण और मीमच पर सैयदका अधिकार है। '13 श्रमरसिंहके राज्यकी सीमा नेउवा और वाघरड़ा गाँवों तक है। 14 थाने पर स्थित है ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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