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________________ ६४ मुंहता नैणसीरी ख्यात विसेरिया-चाकर छां । ज्यूं थे कहस्यो त्यूं करस्यां । पिण हूँ. पातसाहजीतूं सीख कर आवस्यां ।” पछै मेघ जाय पातसाहजीसूं सीख करी । पछै राणा अमरसिंघ कनै आयो । पछै रांगणे घणी मया . .. करी। रावत मेघ मांगियो सु पटो दीयो। तिकां गांवांरी विगत वेधम १४। ८४ रतनपुररी चोरासी ४२ गोठोळाव । १२ वीनोतो १२ वांसियो-पोपळियो । ३ गांव, उदेपुर निजीक खड़-ईंधणनूं । इसड़ो पटो मेवाड़में किणही हुवो नहीं। टका लाख २५००००री . रेख सुणीजै छ। तठा पछै मामलो १ सकतावत नै रावत मेघरै हुवो, तिणरी वात रावत मेघनूं वेघम पटै छै । सु वेघमरा एक गांव माहे सीसोदियो पीथो वाघरो, सकतावत रहै छ। तिणरै नै रावत मेघरै क्यूंहीक अणवणत हुई11, तरै उणनूं मेघ कहाड़ियो । तूं म्हारो गांव छाड़ दे। तरै ओ गांव छाडै नहीं। तरै मेघ पीथा वाळो वाळि यो12 । तद रावत नाराणदास अचलावतनूं पातसाहीरी दीधी भणाय पटै13 । तरै पीथो आय रावत नाराणदास कनै पुकारियो। माहरै14 तूं वडैरो रावत, नै म्हां मारे15 मेघ अतरा हवाल7 किया । तरै नाराणदास खेड़18 करी। राठोड़ जगमालोत, रतनसीयोत, चांदावत सीसोदियो, आपरा भाईबंध असवार १२०० करी वेघम ऊपर चलाया। सु मेघ तो तठा पेहली दिन १ तथा २ परणीजण गयो थो। गांव वेघमथी कोस १५ 1 हम आपके विसोरिया सेवक हैं । (विसे रिया चाकर-वशीवानोंका एक भेद है, जो वशीवानोंसे भी विशेषता रहता है - ये सब प्रकारके लाग और कर आदिसे मुक्त होते हैं। . 2 ज्यों आप कहेंगे त्यों ही करेंगे। 3 आज्ञा लेकर आऊंगा। 4 कृपा की। 5 उन । 6/7. . उदयपुरके समीप तीन गांव घास और ईधनके लिये। 8 ऐसा! 9 किसीको भी। 10 पीथा वाघाका पुत्र। 11 उसके और रावत मेघके कुछ अनबन हो गई। 12 राव मेघने .. पीथावाला गांव जला दिया । 13 उन दिनों रावत नारायणदासको वादशाहकी ओरसे दिया । हुआ 'भिणाय' गांव पट्टे में। 14 मेरे । 15 मेरेमें। 16 इतने । 17 दुर्दशा। 18 अपने वीरोंको बुलाया।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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