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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात छै। तठे पिण थोड़ी बोहत जांण मेघनूं हुई। वांस मेघरो बेटो नरसिंघदास घरे थो। रावत नाराणदास तो जांए मेघो घरे छै । आदमी २ नाराणदास आगै वेघम मेलिया। कह्यो-"जाय रावत मेघनूं कहो, बारै आव ।” नाराणदास आयो । सु आदमी आय देखै तो रावत परणीजण गयो छै नै नरसिंघदास थो तिणनूं जाय रावत नाराणदासरे आदमीए कह्यो । तर नरसिंघ तो बुरो हुवो। कोट जड़ बैस रह्यो । पछै सकतावते वेघम दोळो घोड़ो फेरियो। हाथी १ मेघरो सींव मांहे सैल गयो थो, सु उरोलीयो । हाथी १ ले भणाय आया। बीजो विगाड़ क्यूं ही न कियो। वडो बोल खाटियो' । तठो पछै रावत मेघ परणीजण गयो थो सु आयो। वात सुणी । गाहो लाजियो । बेटा नरसिंघदासथी घणो बुरो मांनीयो । काढ दियो । कह्यो-"म्हांनूं मुंहडो मत दिखाध"तिण ऊपर चूंडावतारा साथ मेघ तेड़ा मेलिया । वडी खेड़ करी। वड-वडा रजपूत सको ठाकुर चुंडावत आय भेळा हुवा। असवार ५००० हजार ऊपर भेळा हवा। रावत मेघ वेघमथी चढियो। 'मजल एक आयो। सकतावत - पिण असवार मरणीक3 भेळा हुवा । पछै रावत मेघ हीज विचार कर दीठो। घर १ छै। गोत कदम हुसी । तर आपसूं हीज पाछो .. वळियो । भाईबंध सिगळा16 मानसिंघ करणोतं बीजे7 घणो ही ...... कह्यो। सकतावत प्रवाड़ा वदसी ।' इण आगै कठै ही फिर संका नहीं। पिण मेघ कह्यो- “जांणो सु दुनी कहो । मोसूं20 तो गोत हत्या नहीं हुवै।" उठाथी मेघ फिर आयो। पछै पँवार केसोंदाससं ... क्यूं बोलाचाली हुई। तरै मेघो केसोदास ऊपर आयो। भैंसरोड़ पटै थित छै। केसोदास बेटां २ सूं सांमो आयो। बाज मूवों21 । पछै राणैः रीस कर मेघ रावत छुड़ायो। ..i} - : 1 जानकारी। 2 पीछे। 3 आदमियोंने। 4 नाराज होगया। 5 कोटके किमाड़ोंको बन्द कर अन्दर बैठ गया। 6 मेघका एक हाथी यों ही फिरने चरनेके लिये जंगल में गया हुआ था। मेघके घर पर नहीं होनेसे उसने अपने वचनका पालन किया। 8 खूब लज्जित हुआ। 9 नाराज हुआं । 10 निकाल दिया । 11 मुझको मुंह मत दिखाओ। 12 बुलाया। 13 मौतसे नहीं डरने वाले। 14. गोत्र हत्या होगी। 15 पीछा लौट गया । 16 समस्त । 17 इत्यादिने। 18 सकतावत विजय कर जायंगे। 19 दुनिया चाहे. सो कहो । 20 मुझसे । 21 लड़कर मर गया।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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