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मुंहता नैणसीरी ख्यात . जोररी ठोड़ काई नहीं नै मोनूं विदा कियो छै , सु आपणो घर एक छै , सु थे मो आवताँ पेहली गाँव छोड़ज्यो” तरै राव सहीसमधोतरै गाँव छोड़ बारै गूढो दियो', इणा गाँवमें अमल कियो, आ वात रांगे अमरसिंघ सुणी । तरै चहुवाँण बलूनूं वे घमरी तसलीम कराई? । आ बात मेघरै भाई-बंधे सुणी। तरै तुरत मेघनूं खबर पोहँचाई । मेघ वेघम बलूनू दीनी सुणी नै घणो बुरो माँनियो । कह्योमरणरी वेळा म्हानू नाराणदास ऊपर मेलिजै, नै वाघारो बलूनू दीजै, तो म्हानू चाकर जाँणिया नहीं। वेघम कै. चूंडावतारी, कैll सकतावतारी । चहुवाँण कुण ? तरै मेघ पाधरो12 वेघमथी3 उदैपुर आय नै पटो छोड़ियो14 । तरै कंवर करन बोल बाह्यो15-"इतरो अहंकार करो छो, तो पातसाह कनै जाय मालपुरो पटै करावजो।" पछै मेघ सामांन करनै पातसाह (जहांगीर) कनै गयो। पातसाह रांणारी विखारी वात पूछी। रावत मेघ सारी बात कही। पातसाह राजी हुवो । रावत मेघनू मालपुरो पटै दीयो। तठा पछ6 कितरेक दिने रांग कंवर (करण) नूपातसाह कांनीनू चलायो । तद कवर करननू रांग अमरै18 कह्यो-'मेघनू दावै त्यू कर मनाय लावज्यो" सु कवर करन मालपुरै आयो, तरै मेघ सांमो आयो20 । मेहमांनी करी । पांतीय बैठा21 । थाळी परूसी22 । तरै करन हाथ खांच बैठो। तरै मेघ विनती कीनी । कुण वास्तै ? तरै कवर करन कह्यो-“थांनू दीवांणजी बुलाया छै। आवो तो हू जीमू23 ।” तरै मेघ कह्यो-“म्हे थांरा
1 यह ठौर बल-परीक्षाकी नहीं है । 2 मुझे ससैन्य भेजा है। 3 मेरे आनेसे पहले ही। 4/5 तब रावने उसके कहनेके अनुसार गांवको छोड़ बाहिर आकर अपने लिये किसी रक्षित स्थानमें डेरा डाला। 6 इन्होंने गांव पर अधिकार कर लिया। 7 तव चहुआन बलू को वेघमका पट्टा कर देनेकी स्वीकृतिके उपलक्षमें मुजरा करवाया। 8 मुझको। 9 जीत में प्राप्त की हुई जागीरी। 10/11 वेघम या तो चूडाके वंशजोंकी अथवा सकताके वंशजोंकी 12 सीधा । 13 से 14 जागीरीका अधिकार छोड़ दिया। 15 तब कुमार करनने ताना मारा। 16 जिसके बाद। 17 बादशाहकी ओर भेजा। 18 अमर (सिंह)ने। 19 जैसे हो वैसे । 20 तव मेघ स्वागत करनेको सामने आया। 21 भोजन करने के लिये एक पंक्ति में बैठे। 22 थालीमें भोज्य-पदार्थ परोसे गये। 23 तुम आओ (मेरे साथ चलो) तो मैं भोजन करूं।
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