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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात मालगढ वीच । गांवांरा नाम १ जीलगरी १ धनवाड़ो १ वाजणो १ खिणीयो १ भीलड़ियो (१ बंको) . इतरा गांव दिया। वात पठाण हाजीखांन रांग उदैसिंघ वेढ' हरमाड़े हुई, तिणरी धववाड़िये खींवराज लिख मेली' । संमत १७१४रा वैसाख माहे___ हाजीखांन पठाण ऊपर मालदेरी फोज अजमेर आई। रा० प्रथीराज जैतावत । तद हाजीखांन रांग उदैसिंघ क. आदमी मेलिया । कह्यो-“मांह राज मारै छै । म्हे तो रावळा थका बैठां छां ।" तर रांणो असवार हजार ५००० सूं तुरत चढियो । अजमेर आयो । तरै राठोड़े भेळा होय नै प्रथीराज कह्यो-'आपे ही मरस्यां । राव मालदेरै आगे ही वडा ठाकुर था सु सारा काम आया छ । नै आपै मरस्यां तो ठकुराई हळवी पड़सी10 । आप उठ जाव साथ भेळो करनें लड़ाई करस्यां।" इण भांत राठोड़े समझाय नै प्रथीराजनूं पाछा मारवाड़ ले गया । सु प्रथीराज खिसांणो थको बगड़ी रीयो । वारै उतरियो । गांवमें न गयो। नै इण मामलै रांणा साथै सिरदारराव सुरजन, राव दुरगो, राव जैमल मेड़तियो, साथै हुता । तठा पर्छ राव मालदे वेगो ही कटक कियो। सु रावजीरै मेड़तियांसू खुसांण हुती13 । सु राव मालदे कहै मेड़ता ऊपर जास्यां । नै राव प्रथीराज कहै अजमेर जाय रांणारा साथसू वेढ़ करस्यां । सु पछै रावजी मेडते आया । मेड़तियांसू वेढ हुई। राव प्रथीराज काम आयो । वेढ हारी । राव रांणारी तो वात अठै हीज नीवड़ी। तठा पछै कितरेक14 दिने रा० तेजसी डूंगरसियोत नै वालीसा सूजानूं रांग उदैसिंघ कह्यो-- थे अजमेर जाय नै हाजीखांननूं कहो-"म्हे था- राव मालदे कना 1 युद्ध । 2 दववाड़िया शाखाके चारण खींवराजने लिव भेजी। 3 भेजे। 4 मुझको प्रवीराज मारता है। 5 हम तो आपके आश्रयमें बैठे हैं। 6 इकट्ठे हो करके। 7 को 18 हम ही परस्पर मरेंगे। 9 पहिले भी। 10 और हम मरेंगे तो अपनी ठकुराई अशक्त हो जायगी। 11 प्रथीराज लज्जित हो कर बगड़ीमें जा कर रहा 12 बाहिर ठहरा। 13 खटक थी। 14 कितनेक। ...
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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