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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात. [ २८३ गीत सोखरो चढ़ सांखला जुड़ पाड़ जैमल, प्रांण पौरस दाख । रावरै दळ तुंहीज रूपक, रूप रतना राख" ॥१॥ ... वात - जैमल रतनो बेऊं काम आया। फोज उठाथी पाछी वळी । जैमलनूं दाग आकड़सादै सथांणै वीच हुवो। वधनोररै देस मेर गूजर सदा वसता । हमैं जाट ही वत्रनोररा गांवां माहै छ, सु कहै छै-“म्हे राव सुरतांणरी वसीरा' छां ।" ... वात सोल की नाथावतरी मूळ अ तोडारै सोळंकियां मिळे । पछै इणारै भाई बंटै नैणवाय आई, सु भोजावत नैणवाय मुदायत' धणी हुता । तिणांनूं नाथावतां माहै राघोदास सादूळोत वडो रजपूत राहवेधी हुवो, सु भोजावतांनूं धकाय काढ़िया' । भोमियां वंट आप लियो । तठा पछै राघोदासरै बेटो नाहरखांन भलो रजपूत हुवो । तिणनूं राव रतन बूंदीरो रु० ६००००) रो पटो दियो । इणांरी वसी बूंदीरै हूंगोरी सूहते हुती'। नाथावतारी बूंदीरी प्रोळ वडी तरवार राव रतन काळ कियो,11 तरै सो नाहरखांन राघवदासोत पातसाह जिहांगीर चाकर हुवो। नैणवाय जागीरमें पाई । हमैं नाहरखांनरो बेटो सूर छै सु नैणवाय वसै छै । नाहरखांनरा कराया मोहळ,13 वाग छै। कितरी ही जमी - - I साक्षीका (यशका) छंद। 2 हे सांखला रतना! तूने जयमल पर चढ़ करके अद्भ त वल-पौरुष दिखाया और उसे मार गिराया । राव सुरतानकी सेनामें तू बड़ा यशधारी हुआ और वीरगतिको प्राप्त कर कीर्तिमान् हुना। (इस छंदके प्रथम पादका पाठान्तर एक अन्य प्रतिमें-'समवड़ सांखला जैमल्ल' है)। 3 दोनों। 4 फौज वहांसे पीछी लौट गई। 5 जयमलका दाहसंस्कार प्राकड़सादा और सथाणा गांवोंके बीचमें हुआ। 6 करमुक्त जागीरी। 7 मुख्य । 8 दूरदर्शी। 9 भोजाके वंशजोंको मार भगाया। 10 इनकी वसी . (जागीरी). बंदी राज्यके गोरी-सूहते में थी। II राव रतन मर गया। 12 अव नाहरखानका .. बेटा सूरसिंह नैणवायमें रहता है । 13 महल ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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