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________________ २८४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात पातसाहजीरी दीवी पावं छै । रु. १) टको १ भूमिया वंटरो सारै : परगनैमें पावै छै । वात सोल की रांणारै वाल देसूरीरा धणियारी' सोळंकियांसू पाटण छूटी, तरै भोजो देपावत सीरोहीरै गांव लास मुणावद वसियो । तिण नै सीरोहीरै धणी राव लाखै माहोमांही . अदावद हुई । पछै वेढ़ हुई । भोजो वेळा ५ तथा सात वेढ जीती। राव लाखो हारियो । पछै राव लाखै ईडररो धणी मदत तेडियो । ईडररै धणी हकीकत राव लाखानें पूछी-"थे भोजा आगै वेढ वेळा ५ तथा ७ हारी सु काखू विचार छै ?" तरै राव लाखै कह्यो-"वेढ भालांरी सूअर करनै इण भांत दौड़े सु मांहरै साथरा पग छूट जाय ।" तरै ईडररै धरणी कह्यो-"हिमरकै अांपै ही खेड़ारी बाघण करस्यां ।" पछै राव सीरोहीरो नै ईडररो भेळा हुय लास ऊपर पाया । इण वेढ सोळंकी भोजनूं मारियो । पछै इंणांसू लास छूटी। पछै मेवाड़ पाया । कुंभळमेर कनै गाडा छोड़नै रांग रायमलरै मुजरै गया । तिण दिन देसूरी मादड़ेचा चहवांण रहता, सु रांणारा गैरहुकमी हुवा हालता । पछै रांणै रायमल कँवर प्रथीराज इणांनूं आ ठोड दिखाई, पछै इणेसो रायमल सांवतसी एक वार तो उजर . कियो,14 | मांहरै सगा छै15 । पछै रांग कह्यो-“मांहरै दूजी ठोड़ देणनूं काई नहीं" ।" पछै इण वात कबूल को" । पछै मादड़ेचा यालणरा आदमी १४० सु कूट-मारनै इण आ धरती लीवी18। ___ I सारे परगनेमें एक रुपये पीछे एक टका भूमिया भागका मिलता है। 2 मेवाड़के . राणाके यहां सोलंकियोंका देसूरीके जागीरदार बन कर रहनेकी बात । 3 तव देपाका बेटा भोजा सिरोही राज्यके गांव लास-मूणावदमें आकर रहा। 4 उसके । 5 और। 6 शत्रुता। 7 फिर लड़ाई हुई। 8 फिर राव लाखाने ईडरके स्वामीको मददके लिये बुलाया। 9 सो क्या बात है ? 10 इस वार अपन भी इसी प्रकार लड़ाई करेंगे। II इस लड़ाईमें सोलंकीने भोजको मार दिया। 12 उन दिनोंमें। 13. सो. राणाकी अवज्ञा करते रहते थे। 14 अापत्ति की। 15 ये हमारे संबंधी हैं। 16 हमारे पास दूसरी जगह देनेको कोई नहीं है । 17 पीछे इन्होंने उस वातको स्वीकार कर लिया। 18 पीछे मादड़ेचा आलणके आदमी १४० जिनको मार-कूट कर इन्होंने इस वरतीको ले लिया।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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