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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [२८१ .. २३ गोयंदराज.। . २४ कानड़ । २५ महिलूरै उतन तोड़ो'२६ दुरजणसाळ । . २७ हरराज। २८ राव सुरतांण । २६ ऊदो। ३० वैरो। ३१ ईसरदास ३२ राव दळपत । ३३ राव अणदो। ३४ राव स्यांमसिंघ तोडड़ी उतन । ३५ राव महासिंघ। वात - राव सुरतांण हरराजरो, तोडड़ी छोडनै रांणा रायमल कनै चीतोड़ पायो, तरै रांण वधनोर गढ़ दरोबस्त पटै दियो । पछै राणा रायमलरो टीकाइत बेटो प्रथीराज उडणो राव सुरतांणरी बेटी तारादे परणियो । प्रथीराज रायमल जीवंतां विस हुवो, पछै मुंवो । पछै मुदायत रांण रायमल जैमल कियो, तिको राव सुरतांणनूं ... जोर कुमया करै । इणै तो घणी ही हळभळ की, पिण जैमल मांने नहीं, पग पड़ियो आवै । तरै जैमल कटक करने वधनोर ऊपर आयो। राव सुरतांण आपरा उचाळा भरनै नीसरियो.नै सांखलो रतनो .. रावरै साळो पिण हुतो, परधान पिण हुतो, इरगनूं पैहली जैमल कनै मेलियो हुतो, सु इण तो घणी ही मीठी वात कही । जैमल कहै-"थारी बैहननूं तो . . . बचियांरा घोड़ारी पूंछ बंधाईस1° । “तरै इणही कू कह्यो11 । जैमल जोर माहै मावै नहीं। वधनोर आयो । गांव तो, आगै आया तिणे कह्यो, सूनो छै। इतरै रात पड़ी । सारै वडे ठाकुरे कह्यो-- — I महिलूका निवासस्थान तोड़ा। 2 तारादेसे विवाह किया। 3 पृथ्वीराजको रायमलके जीते जी. विष दे दिया गया था, जिससे वह मर गया। 4 बाद में राणा रायमलने अपना उत्तराधिकारी जयमलको बनाया। 5 जो राव सुरतान पर बहुत ही अवकृपा रखता है । 6 इसने वहुत ही खुशामद की। 7 क्रोधसे पांव पछाड़ता है । 8 राव सुरतानने वहांसे उचाला कर दिया (सपरिवार वहांसे निकल गया)। 9 सो इसने तो बहुत ही खुशामद की। 10 तेरी बहिनको तो बचियोंके घोड़ोंकी पूछसे बंधवाऊंगा। II तव इसने भी कुछ कहा। 12 जो लोग आगे आये थे उन्होंने कहा कि गांव तो सूना पड़ा है। 13 इतनेमें रात पड़ गई।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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