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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७५ दीठो'-"रात तो हमैं काई नहीं, देहुरो उपरमै नही, सु कुण वास्तै ?" तरै सारै मिळनै कह्यो-"च्यारूं तरफ देहुरारी देखो, कोई कठैई माणस तो छै नहीं ?" आगै देखै तो गोखड़ारै मांहै आदमी दोय बैठा; तरै पाछै देवताए जायन इन्द्र कह्यो--"एक आदमी काल वाळो नै एक को वळे* अादमी देहुरारा गोखा मांहै बैठा छ । म्हे तो ऊणानूं कह्यो, थे परा जावो, वे जाय नहीं। “तरै इन्द्र आप राजा खाफरा कनै आयो । इणानूं पूछियो--"थे कुण छो ?" तरै राजा आपरो नांव कह्यो । तरै इन्द्र देवता कह्यो-“रात गळी, थे परा ऊठो, ज्यूं म्हे देहुरो ले जावां ।" तरै राजा कह्यो-"म्हारै इसड़ो देहुरो करावणो छै, मोनूं इसड़ा देहुरारो करणहार वतावसो तरै अठाथी हूं उठीस' ।" तरै देवताए सिधरावनूं गोळी ७ दीनी । कह्यो-"झै गोळी ऊपरा-ऊपर चाढ़सी तिको थानें इसड़ो देहुरो कर देसी । “तरै राजा नै खाफरो गोळी लेने देहुराथी परा ऊठिया। देहरो नै देवता कवळासिया11 । राजा नै खाफरो पाछा पाटण पाया। सिधराव खाफरानूं सिरपाव कोड़ीधज देनै विदा कियो । नै सिधराव कारीगरांनूं देस-देस तेड़ा मेलिया । देस-देसरा कारीगर प्राय भेळा हुवा । राजा वां कारीगरां प्रागै गोळी मेली, सु किणही कारीगरसूं गोळी ऊपर गोळी चढ़े नहीं। राजा सासतो मोहरत थापै, आपरै मन कोई कारीगर मान नहीं । तर मोहरत आघा ठेले सुर या वात सारी प्रिथीमें ही हुई रही छै । सु एक कारीगर हुतो, सु बाप बेटो दोय हुता'" । सो वे ही चालणरो विचार करण लागा । तरै बाप बेटानूं कह्यो-“वाट वाढ़ो'!' तरै बेटो हथोड़ो टांकी
I देवता लोगोंने देखा । 2 रात तो अब शेष है नहीं। 3 सो किस लिये। 4 एक कोई और। 5 हमने तो उनको कहा। 6 तुम चले जाओ। 7 रात बीत गई है, तुम यहांसे उठ कर चले जाओ। 8 जिससे हम देहरेको ले जावें। 9 मुझे ऐसे देहरेका करने वाला वतायोगे तब मैं यहांसे उलूंगा। 10 इन गोलियोंको एक के ऊपर जो चढ़ा देगा वह तुमको ऐसा देहरा बना देगा। I देहरा और देवता लोग अंतर्धान हो गये। 12 और सिद्धरावने शिल्पियोंको बुलानेके लिये देश-देशोंमें बुलावे भेजे। 13 राजाने उन कारीगरोंके आगे उन गोलियोंको रखा। 14 तव मुहूर्तको और आगे खिसकावे। 15 था। 16 थे। 17 मार्ग काटो।