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मुंहता नैणसीरी ख्यात नीसरियो हुतो नै सवारै परसूं वळं नीसरसी' ।" तरै खाफरो देहुरारी गोखैथी परो उठियो । देहुरो परो उपरमियो । खाफर कोड़ीधज चढ़नै पाटण पाछा उड़ाया' । मनमें जाणियो-"मैं सिधराव जैसिंघदेरो लूंण वरस दिन खाधो छ,' नै सिधरावर देहुरारी वोहत चाह छै; ओ देहुरो हूँ सिधरावनूं देखाऊं; ज्यूं राजा इसड़ो देहुरो करावै, राजारो प्रथी मांहे अमर नाम रहे।" सु खाफरो दिन घड़ी ४ चढ़तां पाछौ पाटण आयो । घोड़ो ठांण बांधनै सिधरावरै मुजरै आयो । राजा वात पूछी-"कुण काम गयो हुतो' ? पाछो किण विध आयो ?" तरै पैहली तो कोड़ोधज हरियारी वात मांड राजानूं कही । पछै देहुरारी वात कही- "मैं जांगियो रावळे देहुरो करावणरी मनमें चाहि घणी छ । मैं रावळो लूंण घणो खाधो हुतो । मैं आज रातै एक प्रावूरै कना इसड़ो देहुरो दीठो' ।आज बळ देहुरो नीसरसी। जांणियो,' राजानूं देहुरो दिखाऊं । राज उसड़ो देहुरो करावै, रावळो अमर नाम रहै।" तरै14 राजा वात मांनी । तिणहीज15 घड़ी खाफरो नै सिधराव दोनूं घोड़े चढ़नै उण ठौड़ आबूरी तळहटी गया। घोड़ो अळगो. वांधनै उण ठौड़ जायनै बैठा । वा वेळा हुई, तरै धरती फाटणं लागी, देहुरो नीसरण लागो। तरै खाफरो सिधराव सूतो थो सु जगायो । राजानूं देहुरो नीसरतो दिखायो । तितरै17 देवी-देवता केई
आया। आखाड़ो मांडियो। राजानै खाफरो वेऊ18 झाडांसू नजीक घोड़ो बांध नै देहुरारै गोखै मांहै जाय बैठा। सारो तमासो दीठो । रात घड़ी ४ पाछली रही, तरै देहुरो देवता उपरमण लागा। राजा नै खाफरो देहुरारा गोखै मांही वैस रह्या। देवताए
I निकलेगा। 2 तव खाफरा देहरेके गवाक्षसे उठ कर चला गया। 3 देहरा लोप हो गया। 4 खाफरा कोड़ीध्वज घोड़े पर चढ़ कर उसे वापिस पाटणकी ओर उड़ा दिया। 5 मैंने वर्ष-दिनों तक सिद्धराव जैसिंहदेका नमक खाया है। 6 ऐसा। 7 किस कामके लिये गया था। 8 हर कर ले जाने की। 9 आपको। 10 मैंने श्रीमान्का बहुत नमक खाया था। II देखा। 12 विचार किया। 13 वैसा । 14 तव । 15 उसी समय । 16 वह समय । हुआ। 17 इतने में। 18 दोनों। 19 वृक्षोंसे । ..