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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २७३ खुसी हुयनै घोड़ा कोड़ीधजरो खाफरानूं पांडव कियो । सु खाफरो घणी खीजमत करै । राजा कोड़ीधजरै ठांण सदा घड़ी दोय बैसे' सु राजा देहरारी वात सदा करै । "कोई उसड़ो कारीगर जुड़े तो देहुरो कराऊं" । पिण कारीगर जुड़े नहीं । सु आ वात खाफरो सदा सुणै । दीवाळी निजीक आई तरै खाफरो रात घड़ी ४ गई घोड़ानूं छोड़ नै कोट कुदाय नै ले नाठो । नै राजानूं परभात खबर हुई, पांडव घोड़ो ले नाठो । तरै राजारो साथ कहण लागो “वाहर चढ़ां' ।" तरै राजा कह्यो "उणनं कुण आपडै ? वांस को मत चढ़ो' ।” सु वाहर तो को वांस चढ़ियो नहीं । नै खाफरो रात पोहर १ पाछली थकी आबू निजीक उठे उतरियो,1 । जांणियो "हू तो कुसळे पड़ियो । अटै घड़ी १ बैसां ।" यिऊं ही उतर बैठो। तितरै13 धरती फाटण लागी । तरै इण जांणियो “ो कानूं छै?" सु धरती मांहिथी देहुरो १ नीसरै छ, सु पैहली तो देहुरारा तीन ईंडा' सोनारा ...', नोसरिया;16 पछै सिखर नीसरियो । पछै मंडप धड़ाबंध' नीसरियो। तठे घणा देवी-देवता आइ नाटक मांडियो, सु खाफरो पिण जाइ एकै गोख मांहै जाय बैठो। रात घड़ी २ पाछली हुती; तरै नाटक पूरो हूंण लागो । तरै देवता उपरम करण लागा सु खाफरो मांहे बैठो सु देहुरो खिसै नहीं । तरै देवता कहण लागा-"जोवो को मांणस छ ।” तरै जोवै तो खाफरो लाधो । तरै देवताए खाफरानूं पूछियो-- "तू कुण छ ?" तरै खाफरै प्रापरी वात मांडनै कही । देवतांनूं देहुरारी वात पूछी--"जु ओ देहुरो वळे अठै कदै नीसरै छै1?' तरै देवताए कह्यो-"दीवाळीरी रातरै दिन वरस एक माहै नीसरै छै। एक आज hoa ___ I सईस बना दिया । 2 बैठता है। 3 वैसा । 4 प्राप्त हो । 5 यह । 6 भाग गया। 7 पीछा करें। 8 उसको कौन पहुँचे ? 9 पीछे कोई मत चढ़ो। 10 इसलिये पीछे वाहर तो कोई नहीं चढ़ा। II और खाफरा एक पहर पिछली रात रहते भावूके पास जा कर उतरा। 12 विचार किया कि मैं तो कुशलपूर्वक निकल आया । 13 इतनेमें । 14 यह क्या हो रहा है ? 15 कलश । 16 निकले । 17 सम्पूर्ण। 18 तव देवता लोग देहरेको पृथ्वीमें प्रवेश कराके अदृश्य करने लगे । 19 देहरा खिसकता नहीं। 20 देखो। 21 यह देहरा पुनः यहां कव निकला करता है ?
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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