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________________ २७२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात वात रुद्रमालो प्रासाद सिद्धराव करायो तिणरी' राजा सिद्धराव रातै सुवै तरै सुहणा माहै देखै प्रिथीरो रूप . . धारनै राजा कनै प्रावै । कहै-"एक मोनूं ग्रहणो सखरो दीजै । राजा सासतो सुपनो देखै; तरै पंडितां सुपन-पाठीकानूं पूछियो - "प्रिथी वैररो रूप धार ग्रहणो मांगै छ, सु कासू कीजै ?" तरै पंडित कह्यो-"प्रथोरो ग्रहणो प्रासाद छै। राज प्रासाद करावो ।” तरै राजारै मनमें आई-"जु एक इसड़ो देहुरो कराऊं जिसड़ो' म्रत्युलोक मांहै अचंभो हुवै ।" सु हमैं देस-देसरा सूत्रधार तेडीजै छ । कारीगर देहुरारी जिनस मांड दिखावै छै, पिण राजारै मन काय तरह दाय .. नावै छै । तिण समै खाफरो चोर नै काळो चोर नांवजादीक छै । ... तिकै दीवाळीरै दिन जूवै रमिया, तरै खाफरै तो राजा जैसिंघदेरो चढ़णरो पाटहड़ो घोड़ो कोड़ीधज आडियो नै काळे काइक वीजी वस्त आडी छै । काळो सीरोही तीरै आगै उभरणी सहर छै. त? रहै छ,13 सु काळो जीतो, खाफरो हारियो, तरै कह्यो-"घोड़ो कोड़ीधज प्रांण दे14 ।" तरै खाफरै कह्यो-"पावती दीवाळी उरौ प्रांण देईस ।' तरै खाफरो पाटण गयो, मजूररो रूप करनै । घोड़ा कोड़ीधजरै ठाण द्रोवरी पोट ले जायनै सैंधो हुवो" । पछै द्रोवरी .. पोट फिटी करनै ढाणियो हुय रह्यो । घणी खिजमत करै, इण मांहै घणी कळा'" । राजा सदा कोडीधजरै ठाण आवै, सु इणसूं I सिद्धरावने रुद्रमहालय प्रासाद करवाया जिसकी बात। 2,3 राजा सिद्धराव रातमें जब सोता है तो स्वप्नमें देखता है कि पृथ्वी स्त्रीका रूप धर कर राजाके पास आती है और कहती है कि एक मुझे अच्छा गहना दिया जाय । । तब पंडितों और स्वप्न-पाठकोंसे । पूछा। 5 सो क्या करना चाहिये ? 6 ऐसा। 7 जैसा। 8 शिल्पी लोग देहरेका चित्र .. ( मॉडल ) बना कर दिखाते हैं। 9 परंतु राजाको वे किसी प्रकार पसन्द नहीं आते हैं। 10 उस समय खाफरा चोर और काला चोर प्रसिद्ध हैं। II दाव पर लगाया। 12 और कालेने किसी दूसरी वस्तुको दांव पर लगाया है। 13 वहाँ रहता है । 14 ला कर दे। .. 15 आने वाली दिवाली पर ला कर दे दूंगा। 16 परिचित हुआ। 17 पीछे दूर्वकी पोट : लाना छोड़ करके घोड़ेकी ठान साफ करनेकी नोकरी पर रहा। 18 सेवा करे। 19 इसमें कला वहुत ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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