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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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नान्हों, इणांरो दुख कर मरे तो इतरी हत्या मोसूं सांखवी न जाय" ।" तरै लाखो पेट मारणनूं तयार हुवो, बडो अनरथ हूण लागो । तर लाखारै घर मांहे कारणी मांणस था, ' तिकां जाड़ेचीनूं घणो हठ कर वळतीनूं राखी । पिण जाड़ेची कहै - " थे म्हारो कुरुवा - रथ करो छौ' ।" पिरण मांडां राखी' । तरै लाखानूं जाड़ेची कहाड़ियो - " तैं म्हारो धणी मारियो नै मोनूं वळण न दे है, तो तूं मोनूं मुंहड़ो मत दिखावे" ।” लाखे वात कबूल कीवी । ति पापरा लाख घणा दान - पुन्य किया 10 घरणा संस नेम लिया ने लाखो घणो दुख करै छै'' । उण श्रोळजरो लियो लाखो भांजनूं कदेही छाती ऊपर थी ग्रळगो करें न छै 1 सारी साहिवीरी मदार राखायच ऊपर छै । कोई राखायचरो हुकम लोप न छै ।
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वात पाटण चावोड़ांथी सोलकियां रे यावे जिगरी"
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पाटण चावोड़ो चावंडराज धणी हुतो सु मुवो । तिरै च्यार बेटा, लायक सारीखै माथै ' " । च्यारांई भायां ग्रांटी करी, ग्रहस हुई - " । तरै वीच मांणसे फिरने कह्यो " " सिंघासण, छत्र वीच
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I भानजा छोटा है | 2 इनका दुःख करके यह मर जाय तो इतनी हत्याएं मेरेसे सहन नहीं हो सकतीं । 3 तव लाखा पेटमें कटारी मार कर मरने को तैयार हुआ, वड़ा अनर्थ होने लगा । 4,5 तब लाखाके घरमें जो विवेकशील मनुष्य थे उन्होंने जाड़ेचीको सती होने से हठात् रोका। 6 परंतु जाड़ेची कहती है कि ( मुझे सती होनेसे रोक कर ) तुम मेरा अनिष्ट कर रहे हो । 7 परंतु बलात् रोक दिया । 8 कहलाया । 9 तूने मेरे पतिको मार दिया और अव मुझे उसके पीछे सती भी नहीं होने देता है, तो तू मुझे अपना मुंह मत दिखा | 10 उस पापके प्रायश्चित्त रूपमें लाखेने बहुतसे दान-पुन्य किये । II और कई शपथ और नियम पालन करनेका निश्चय किया और लाखा बहुत अनुताप करता है । 12 इस विरह-विरसको ले कर लाखा कभी अपने भानजेको अपनी छाती से दूर नहीं करता है । 13 सारी हुकुमतका दारोमदार राखाइच ऊपर है । 14 पाटनका शासन चावड़ोंसे छूट कर सोलंकियों के अधिकार में श्रा जाता है, उस घटनाकी वात । IS उमर लायक और समान प्रकृतिके । 16 चारों भाइयोंने हठ किया और परस्पर टंटा हो गया । 17 तब मनुष्योंने बीचमें पड़ कर
कहा 1