SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 267
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २५६ अणहलवाड़ा पाटणनूं गांव ४५६ लागै छै । तिणमें' तपो गांव ५२ सीधपुर छै, रु० २५०००) उपजतांरी ठोड़। नै पाटण तो आगै वडी ठोड़ हुती, रुपिया लाख ७०००००) री पैदास हुती । संमत १६८२ तथा १६८३ ताउं उपजतां । संमत १६८७ पछै पाटण तूटी । कोळियां सारा गांव सूना किया । हमैं रुपिया २०००००) नीठ उपजै छै । पाटण चारोड़ा भोगवी तिगरी विगत - वरस । मास । आसामी। ६० वरस ६ मास वनराज चाप्रो. भोगवी। १० वरस जोगराज भोगवी। ३ वरस राजादित भोगवी। ११ वरस वरसिंघ भोगवी। ३६ वरस खेमराज भोगवी। २७ वरस चूंडराव भोगवी। १६ वरस गूंडराज भोगवी। २६ वरस भोवंडराज भोगवी। कवित्त साठ वरस वनराज, वरस दस जोगराव भण। राजादित त्रिण वरस, वरस इगियारा सिंघ सुरण ।। खीमराज चाळीस, वरस इक ऊण' मुणीजै । चुंडराव सतवीस, वरस भोगवी भणीजै ।। उगणीस वरस गुंडराज कहि, उगणतोस भोवंड भुह । चामंडराज अणहलनयर, कीध वरस सौ छीनवह' ॥१॥ ____ I जिनमें । 2 सम्वत् १६८२ तथा १६८३ तक यह उपज होती थी। 3 कोली लोगोंने पाटनके सब गांवोंको सूना कर दिया। 4 अव रुपये दो लाख मुश्किलसे पैदा होते हैं। 5 चावड़ोंने पाटन भोगी उसका विवरण । 6 तीन । 7 एक वर्ष कम। 8 कहा जाता है। 9 एक सौ. छियानवे वर्ष राज्य किया।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy