SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 268
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात आठ छत्र' चावड़ा कीध पाटण घर रज्जह । वरस एक सौ छिनु गया भोगवी सकज्जह ।। हुए सोळंकियां वरस सौ............ 'सत्तह। हुवा पांच वाघेल वरस भू वीसो सत्तह ॥ पांच सौ वरस चाळीस सु वसुह भार साचो वह्यो। पंचवीस छत्र गूजरधरा अणहलवाड़ो ऊ गह्यौ ॥२॥ सोळंकियां पाटण भोगवी पहली चावोडांनूं हुती, पछै तोडारो तरफसूं राज, बीज आया; तिांणनूं चावडै परणाया । पछै चावोडारै भाणेज राजरै बेटे वीजर भतीज चावोडांनै मारने पाटण लीवी । इतरां पाटण भोगवी तिण... साखरो कवित्त मूळू पैंताळीस वरस दस कियो चंदगिर । वलभ अढ़ाई वरस साढ-वारह द्रोणागिर ॥ भीम वरस चाळीस वरस चाळीस करनह। . एक-घाट-पंचास राज जैसिंघ वरन्नह ॥ कंवरपाळ तीस-त्रिहुं-प्रागळि" वरस त्रिष्ण मुळराज लह। . विलसी ज भीम सत रसह रस वरस साठ अगलीक चह ॥१॥ ४५ मूळराज। १० चंदगिर। २॥ वलभराज। १२॥ द्रोणगिर। ४० भीमदे नानगसुत । ४० करन । ४६ सिधराव जैसिंघदे। I राजाअोंने। 2 राज्य। 3 वसुधा। 4 पच्चीस । 5 चावड़ोंने उनका विवाह कर दिया। 6 एक कम पचास (४६) 7 तीसके ऊपर तीन (३३) वर्प। 8 तीन । 9 भूमि । 10 साठके अागे चार (६४) वर्ष ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy