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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २५५ पिण उण वेळा' आयो सु ओ साप आयो सु परदिखणा दे मोहर १ मेलनै जावण लागो, तरै प्रानै साप पूछियो-"तूं कुण छै ? नै तूं इण डावड़ारी इतरी इतरी रिख्या करै छै; सु तोनै इण कुण सनमंध छै ?" तर साप मांणसरी' भाखा बोलियो, कह्यो-'आगै इण देस राजा हून वडो महाराज हुवो छै, तिको जीव थारै पेट बेटो हुय आयो छ,' नै उण राजा हननै मो मित्रताई हुती, सु मोनूं तीस चरू10 मोहरांरा भरिया सूपिया1 छै सु इण देहुरै माहै म्हारा बिल कनै इण ठोड़ छै । म्हैं इतरा1 दिन रखवाळी कीवी। हमैं चरू औ थाहरा बेटारा छै। थे इण ठोड़ खिणनै उराल्यो14 नै थे इण ठोड़था15 कठै ही16 आघा-पाछा मत जावो । आ धरती थांहरै बेटांपोतारै सारी हाथ पावसी" । अठै हीज18 कोट करावो ।” तरै सापरै वचनथी प्रांनो अठै रह्यो नै डोडांसूं आप जाय मिळनै कह्यो"थे कहो तो म्हे अठे हीज रहां21 । तरै डोडे कह्यो-“भली वात ।" पछै अांनै उठे कोट करायो । धारू मोटो हुवो, तद धरतीरा धणी डोड हुता। तरै धारू मामा कनै गयो । चाकरी करण लागो । डोडे सपूत देख भाणेज माथै22 सारी दरबाररी, दीवांणरी मदार राखी। .. पातसाहरी चाकरी डोडांरै वदले धारू करण लागौ। डोड दिन-दिन गळता गया 4 । खीची दिन-दिन वधता गया । वडी ठाकुराई हुई। पातसाह अकबररी पातसाही ताउं तो निपट जोर साहिबी थी। अकबर पातसाह खीचीवाड़ा ऊपर कछवाहा मानसिंह भगवंतदासोतनूं कुंवरपदै28 फौज दे मेलियो हुतो, तद मानसिंघ खीची रायसल वेढ़ I उस समय। 2 तू कौन है ? 3 लड़केकी। 4 इतनी-इतनी। 5 रक्षा। 6 सो तुझसे इसका क्या संबंध है ? 7 मनुष्य। 8 भाषा। 9 वह जीव तेरे (और तेरी स्त्रीके) पेट पुत्र होकर आया है। 10 चरू, देग। II सौंपे हैं। 12 इतने । 13 अब ये चरू तुम्हारे बेटेके हैं। 14 तुम इस जगहको खोद कर ले लो। 15 से । 16 कहीं भी। 17 यह सव धरती तुम्हारे वेटे-पोतोंके हाथ आयेगी। 18 यहां ही। : 19 से। 20 मिल करके। 21 तुम कहो तो हम यहां ही रहें। 22 के ऊपर । .. 23 आधार। 24 घटते गये, निर्वश होते गये। 25 बढ़ते गये। 26 तक । ... 2७ हुकूमत। 28 कुंवरपदकी अवस्थामें, कुमारावस्थामें। 29 भेजा था।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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