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________________ २५४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात सूधा' जाय डेरो कियो छ । सु ानारी बहू सांखलीनं आधान छ। सु दसमा ऊपर दिन जाय छै । आनो तिण समै निपट वेखरच छै । सूल सामांन मांमूर कू न छै; सु उठे धारूरी मा कस्टी रातरी; तरै डेरो डांडो साथे, मांमूर क्यूं न छै । तरै पाखती' एक पुराणो वडो देहुरो छ, तठे सांखलीनूं अोळे राखी' । उठे धारू जायो । तर पीढ़ी एकी ऊपर राखियो तठे सापरो विल १ छ, तिण मांहैसू साप १ नीसरनै12 पोढ़ी दोळी13 परदिखणा14 देने मोहर १, सोनो तोळा __ पांच भररी मेल गयो,15 सु धारूरी मा सारो विरतंत' देखै छै, नै पछै मोहर उरी ली," नै सवारै अांने मांहै प्रायनं वैरनूं कह्यो'"कूच करां पिण खांणानूं सारा गुढ़ारा लोगरै कनै क्यूं न छै ." तर बैर कह्यो-"आज तो मोसौं चालियो जाय नहीं ; नै मोहर वा नानूं सांखली दीवी, कह्यो-'आज तो खरच इणरो करो ।" तरै प्रांनो खुसी हुवो; जांणियो-“सांखली या मोहर अाप कनै19 किणही सूल वेळा-क-वेळानं21 कठैक छांनो राखी हती, स आज गुढ़ारां लोगनं लांघण पड़तौ जांणनै मोनूं दी छै ।" पछै दूजै 4 दिन पिण साप उणहीज भांत पीढ़ी दोळी परदिखणा देने मोहर मेल गयो । सांखली अांनानूं दिन ५ तथा ७ इण भांत साप मोहर मेल जाय; धारूरी मा मोहर उरी लेनै अांनानूं दै । तरै अांनारै मनमें इचरज आयो"म्हारी बैर सासती मोनूं मोहर कठाथी दै छै ?" तरै आठमैं दिन बैरन अांनै मोहररी वात पूछी; तरै वैर वात मांडनै सोहर कहो; नै कह्यो-"अाज थे पिण उण वेळा प्रायनै तमासो देखो।" तरै प्रांनो I निकट। 2 गर्भ। 3 दसवें महीनेके ऊपर दिन निकल रहे हैं। 4 आनाके पास उस समय खर्च करनेको कुछ भी नहीं है। 5 खाने-पीने आदिका सामान कुछ भी नहीं है। 6 सो वहाँ घारूकी माँको रातमें प्रसव-पीड़ा हुई तो वहाँ डेरे-डांडे आदिका कुछ भी साधन नहीं है। 7 पासमें। 8 मन्दिर। 9 वहां सांखलीको ओटमें रखा। 10 वहां धाल्ने जन्म लिया। II तव सद्यजात शिशुको एक मचिया पर रखा। 12 निकल कर। 13 चारों ओर। 14 प्रदक्षिणा। 15 रख गया। 16 वृत्तान्त । 17 ले ली। 18 और दूसरे दिन यानाने अंदर पा कर अपनी स्त्रीको कहा। 19 पास। 20 किसी . प्रकार। 21 समय-कुसमय। 22 गुप्त । 23 लंघन। 24 दूसरे। 25 अचरज। . 26 मेरी पत्नी निरंतर मुहर कहांसे ला कर मुझे देती है ? 27 सव ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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