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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २४५ हीमाळाउत हीज, सुजड़ी' साही सोभड़े । ढील पहां रिमहां' घड़ी, खखळ-बखळ की खीज ॥ ४ ॥ सोभड़ा सूअर सीत, दूछर ध्यावै ज्यां दिसी । भीत हुवा भड़ भड़भड़े, रोद्रित कर गज रीत ।। ५ ।। चोळ' वदन चहुवांण, मिलक अढ़ारे मारिया । सुजड़ी आयो सोभड़ो, डखडखती दीवांण ।। ६ ।। वणवीरोत वखांण, हीमाळावत मन हुवा । त्रिजड़ी' काढेवा तणी', चलण दियै चहुवांरण ।। ७ ।। सोभड़े कियो सुगाळ, मुंहगौ एकण ताळमें । खेतल वाहण खड़खड़े, चुड़खै चामरियाळ ॥ ८ ॥ लोद्रां चीलू अांध, भागी सोह11 कोई भ012 । स्रोभ्रमड़ा स्रग सातमै ", बाबा तोरण बांध ॥ ६ ॥ ॥ इति साचोरा चहुवांणांरी ख्यात वारता संपूर्ण ।। वात .... चहुवांणां माहै साख १ बोडारी छै । अही1 राव लाखणरा पोतरा सोनगरा जाळोररा धणी । सीरोहीरा धणी, कीतूरा पोतरा बोड़ो भाखररो बेटो हुवो। तिणरा वांसला बोड़ा कहीजै छै" । इणांरै उतन परगनो जाळोररै सेणारो छोटो सो परगनो छै । प्रागै . I हीमालेका पुत्र शोभा । 2 कटारी। 3 धारण की। 4 शोभेने। 5 शत्रुओं। 6 क्रोध । 7 लाल । 8 प्रशंसा। 9 तलवार। 10 की, लिये। II सब कोई, ___ सभी। 12 कहते हैं। 13 शोभा। 14 सातवें स्वर्गमें। 15 ये भी। 16 पोते । 17 जिसके पीछे वाले वोड़ा कहलाते हैं। 18 इनका निवास जालोर परगने कोसेणा गांव जिसके पीछे एक छोटा सा परगना है ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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