SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 254
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात यो सीरोही वांस थो' । पछै राव सुरताण भारणोत, राव कला मेहाजलोतसूं वेढ़ काळाधरी की तद विहारी मिलकखांन हेतावत। परगना ४ जाळोर वांस दिया था सु तदरा जाळोर वांस पड़िया तासु हमै जाळोर वांस हीज छै । परगनो सेगो जाळोरसू कोस १० सीरोही दिसा ऊगवणनं सीरोहीरा गांवांसू कांकड़ । परगनो दुसाखो' छ। सहर छोटी सी भाखरीरी खांभ, अगवारै वडो मैदान । ऊनाळी निपठ घणी' । छोटा मोटा ढींवड़ा11 ३०० हुवै । गांव १२ सेणा वांस । बोड़ारो ठिकांणो घरणा दिनांरो थो सु सं० १६६६ राव महेसदास दलपतोतनूं जाळोर हुई, वरस ४ महेसदास जीवियो, तठाऊ12 बोड़ो कल्याणदास नारांणदासोतनूं सेणो, सदा भोमिया . रुखो हुतो13 त्यौं रह्यो । पछै राव महेसदास दलपतोत संमत् १५०३15 ...। पछै पातसाह रतन महेसदासोतनूं दीवी। पछै राव रतन बोड़ा कल्याणदास नाराणदासोतनूं सेणे वाहर रुखो प्रायो। कहाड़ियो-"म्हे आघा जावां छां, थे सताव आवो” ।' पर्छ कल्याणदास थोड़ा हीज साथसू आयो, तरै रतन श्राप हाथसूं बरछोरी दे कल्याणदास मारियो नै सेणो लियो । बाकीरा नासनै सीरोहीरा देसमें गया । सेणो निखालस हुदो । मैं प्रागै नवघण, विजो. ____ I पहले यह सिरोही रियासतका गांव था। 2 कालंदरी गांव। 3 पीछे । 4 तबसे। 5 पूर्व दिशाकी अोर ।। 6 सीमा। 7 परंगना दुफसली है। 8 शहर छोटी सी पहाड़ीकी ढलानमें। 9 आगे। 10 रवीकी फसल अधिक। II रहँट । 12 तवसे। 13 सदा भोमियाकी भांति था। · 14 उसी प्रकार रहा। 15 प्राप्त सभी प्रतियोंमें यहां कुछ अंश छूटा हुआ है जिससे यहां यह पता नहीं पड़ता कि सं० १६६६से सं० १७०३ तक चार वर्ष महेशदासके अधिकारमें जालोर रहनेके वाद महेशदासका क्या हुआ ? वैसे इसके आगे महेशदासके वेटे रतनको जालोर देनेका उल्लेख है, इससे यह अनुमान होता है कि त्रुटित अंशमें महेशदासके मर जानेका उल्लेख होना चाहिए। 16 पीछे राव रतन नारायणदासके बेटे कल्याणदास बोड़े के लिए बाहरके रूपमें आया। 17 उसने कहलाया कि हम आगे जा रहे हैं, तुम भी जल्दी प्रायो। 18 लेकिन कल्याणदास थोड़े मनुप्योंको ही लेकर पाया। 19 और सेऐ पर अधिकार कर लिया। 20 शेष भाग कर सिरोही राज्यमें चले गये। 21 सेणा गांव सर्वथा अधिकारमें हो गया। . ...
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy