________________
... मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २२३ हळभळ करै, आवणरी मांड का नहीं । गढ़री तैयारी हुवै छै । सु पातसाहजी वीरमदेनूं ते. मेलिया था, त्यां पातसाहजीनूं आय कह्यो.. “वीरमदे नावै, गढ़ सझै छै ।" तरै पातसाजी बुरो मांनियो । तगा कोटवाळनूं कह्यो-"जु रांणानूं बेड़ी पहरावो।" तगै रांणानूं कह्यो"थे बेड़ी पहरो।" तरै रांणो तगानूं मारनै कुसळे खेमै गयो ।
साखरा दूहा काय आडां पग पाड, काय कर घात कटारियां । ... छोगाळा छळ छाड, रांणा रावत वट' तणो' ॥ १ ॥
तगो न जाणे तोल', मूरख मछरीकां' तणो। . कारण किणीक बोल, मारै काय आपण मरै ।। २ ।।
सुधन पूछ सुरतांण, कोलाहळ केहो कटक । काय रीसांणो रांण, मैंगळ13 खंभ मरोड़िया ॥ ३ ॥
वात - रांणो कुसळे -खेमै घरे आयो । घोड़ो गांव झीथड़े कनै मुवो' । पछै पातसाहजी मुदफरखांन दाऊदखाननूं पांच लाख घोड़ांसू विदा किया। सु अ आय गढ़ लागा। रोज-रो-रोज ढोवो हुवै, तरै उठारी खबर ढोलरै ढमकै पातसाहजीनूं आवै16; कहै छै-बारै वरस विग्रह हुअो । पछै कहै छै—दहिया रजपूत २ खून में आया था, त्यांनूं कांनड़देजी सूळी दिराया था, सु वे सूळी ऊपर थका वायरातूं अपूठा हुता सु सांम्हां हुवा । सु रावळ कानड़देजी देखनै हंसिया ।
. I मुंह पर खूब बातें बनाते हैं, परंतु पानेकी तैयारी कुछ नहीं। 2 वीरमदे नहीं .. आयेगा, लड़ाई के लिये गढमें सामान सजाया जारहा है। 3 तव तगाको मार करके राणा.
कुशलक्षेमसे चला गया। 4 अथवा, या तो। 5 प्रहार । 6 गर्व । 7 का। 8 रहस्य, मर्म । ..9 स्वाभिमानियोंका। 10 स्वयं। II खवर। 12 कैसा। 13 हाथी। 14 राणाका . घोड़ा झीथड़ा गांवके पास मर गया। 15 सो इन्होंने आकर गढ़ घेर लिया। 16 हमेशा ही
धावे होते, तव वहांकी खबर ढोल बजा कर बादशाहको पहुँचाई जाती। 17 खून करनेके अपराधमें। 18 उनको कान्हड़देजीने सूली चढ़वाया था। 19 सो वे सूली पर चढे हुए भी उल्टे थे सो हवासे सन्मुख हो गये।