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मुंहता नैणसीरी ख्यात "कै तो कंवर वीरमदे परगूं', नहींतर धांन-पाणी नवे दांते खाऊं।" तरै दिन एक तो मोहलरै लोग उणरी मा सारी हुरमां समझाई"यो हिंदू, तूं तुरकांणी, किण भांत परणावां ?" पिण उण अत हठ मांडियो, मरण लागी । तरै मोहलरै लोग या वात पातसाहजीतूं .. मालम कीवी । तरै एक दोय वार पातसाहजी पिरण फुरमायो-"या वात हूणरी नहीं ।" साहिजादीनूं दिन ३ हुवा धांन खायां, पांणी पियां । तरै वळे पातसाहजीसू अरज पोहती -साहिजादी मरै छै ।। तरै पातसाहजी वीरमदेजी वीच अादमी फेरिया । वीरमदे घणो ही उजर कियो । पण पातसाह अत हठ मांडियो; तरै दीठो - "के तो. मरां के वात कबूल की चाहीजै।" तरै वीरमदे दाव कियो' । कह्यो"भली वात, साहो जोवाड़ीनै म्हांनूं विदा कीजै । म्है जाळोर जाय सूल सामांन कर जान ले साहा ऊपर अावां, परणां' ।' तरै पातसाहजी कह्यो-“तू उठ जाय बैठ रहै । नहीं आवै तो तिण वातरा अोळ दे जा'।" तरै रांण वणवीरोतनूं अोळमें पातसाहजी कनै राखनै वीरमदे घरे जाळोर आयो । वात हुती सु रावळ कानड़देजीतूं मालुम की। कानड़देजी दीठो, वात विगड़ी' । तर कांमदारांनूं तेड़नै गढ़रोहारो सामांन सतावतूं करायो । पातसाहजी रांणानूं पांचे दिने साते दिने तेड़नै फुरमावै-"अजेस वीरमदे नहीं आयो।" रांगै पातसाहनूं वाते लगाय लियो छै- “सामांन करै छै, सु सताब आवसी ।" मास २ तथा ४ यूं आधा नीसरिया13 । पछै पातसाहजी आपरा. हजूरी लोग दिनांरो अवादो14 बोलनै जाळोर मेलिया । वे अठै अाया। रावळ कानड़दे नै कंवर वीरमदे मिळिया । मुंह. तो
I या तो कुंवर वीरमदेके साथ विवाह करूं। 2 नहीं तो अन्नजल नये दांत आने पर ( नये जन्ममें ) लेऊ। 3 परंतु उसने बहुत हठ किया। 4 पहुँची। 5 तब देखा। 6 या तो। 7 दाव खेला। 8 लग्न दिखा कर हमको विदा कर दें। 9 हम जालोर जा कर . सब सामान और तैयारी करके लग्न ऊपर वरात ले अावें. और शादी करलें। 10 यदि " वापिस नहीं ग्रावे तो अपने बंदलेमें जामिनकी तौर पर प्रादमी रख कर चला जा। II कान्हड़देजीने देखा, वात तो बिगड़ गई। 12 तव कामदारोंको बुला कर शीघ्र ही किलेबंदी का सामान तैयार करवाया। 13 इस प्रकार महीने २ तथा ४ आगे निकल गये। 14 मयाद । IS भेजे।