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________________ ___ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २२१ . तरै वीरमदेजीरो बडो सामांन करनै पातसाहजीरी हजूरनूं चलायो । कितरेहेक दिने उठे जाय पोहता' । पातसाहजीरो मुजरो कियो । पातसाहजी वीरमदेजीनूं देख बोहत राजी हुवा । दिन दस पांच प्राडा घातनै वीरमदेसू कहाव कियो - "एक वार पंजु नै थे खेलो, म्हे देखां ।” तरै वीरमदे अरज कराई, "म्हारो तो यो काम न छै पिण हजरत फुरमावै छै, तो एकंत हजरत हुकम करसी त? म्हैं नै पंजु -ख्याल दिखावस्यां ।" पछै पातसाहजी आपरी अंगरहण थी तटै ठौड़ संवाराई । मोहलरो लोग पिण चिगांरै अोळे देखण आयो । पर्छ उठै पातसाहजी बैठनै पंजु वीरमदेनूं तेड़िया । अ खेलिया । मैं एक दोय वार तो बर बर रह्या । पातसाहजी बोहत रीझिया' । पंजु नै वीरमदे सारीखी-सारीखी सारी विद्या जांणता । वीरमदे तो पंजु कनासूई विद्या सीखियो हुतो; पिण पंजु कानड़देजी कना छांड पातसाहजी कना' प्रायो, वांस कानड़देजी कनै करणाटरा पायक आया हुता', तिणां कना विद्या एक पगरै अंगूठे पाछणों11 बंधायनै उलटी कुळाछ खाइन पाछणारी चोट निलाडनूं कीजै; तिका विद्या वीरमदे नवी सीखियो । पांजुरै उलटी कुळाछ खेलनै पाछणारी हळवोसी लगाई। वीरमदे इण घात जीतो14 । पातसाहजी बोहत रीझिया । मोहलारो लोग रीझियो । पातसाहजीरै बेटी १ वडी कँवारी हुती सु निपट रीझाई15 । पछै पातसाहजी पांजु वीरमदेनै डेरी सीख दी । पातसाहरी बेटी हुती खटवाटी ले पड़ी । धांन खाय न पांणी पीवै । मोहलरै लोग पूछियो18__- "कुण वास्तै19 ?" तरै पा साहजादी कहै I वहां जा पहुँचे। 2 पांच दस दिनके वाद वीरमदेको कहलवाया। 3 एकान्तमें। 4 खेल दिखायेगे। 5 फिर बादशाहने जहां अपने एकान्त रहनेका स्थान था उस जगहको सजाया। 6 महलकी अंत:पुरिकायें भी चिकोंकी अोटमें देखने आई। बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ। 8 पाससे । 9 के पास । 10 पीछेसे कान्हड़देजीके पास कर्णाटकके मल्ल आये थे। II उस्तुरा । 12 ललाटमें मारी जाये। 13 हलकी सी चोट मारी। 14 वीरमदे इस घात (दाव) में जीत गया। 15 बादशाहके एक बड़ी बेटी ववारी थी वह बहुत ही प्रसन्न हुई । (चौहान कुलकल्पद्रुममें इस लड़कीका नाम 'सीताई' लिखा है। ) 16 अपने-अपने डेरोंको जानेकी आज्ञा दी। 17 प्रतिज्ञा करली। 18 अन्तःपुरिकाोंने पूछा। 19 किसलिए ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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