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________________ - मुंहता नैणसीरी ख्यात [२१५ जाय छै । कूकवो हुवो । सको लोक हाबो सुणनै आयो' । रावळा चोकीदार तलार पिण आया । पग जोया । तरै चोकीदारै जोवतैजोवतै अो कावड़ वाळो बांभण लाधो । प्रो निचित सूतो हुतो। इणे लोहीरा छांटा दीठा', तरै उणनूं झालियो । पछै गुदड़ी माहै छुरी नीसरी । त्यां वळे गाढ़ो झालियो । तलार जाय राजानूं गुदरायो' । इण इसड़ो काम कियो, कासू सझारो हुकम हुवै छै° ? तरै राजा कह्यो-“इणरा हाथ दोनूं वाढ़ो।” उण बांभरणनूं न क्यूं उणै पूछियो, न क्यूं इण कह्यो । चोकीदारै हाथ वाढ़िया" । भो तो व? वा कावड़ लेनै हालियो । इणनूं महादेव ऊपर ब्रह्मतेज चढ़ियो" । मन माहै विचारण लागो, “मैं इण भांत सेवा की, महादेव प्रो फळ दियो । हमरकै'' देहरा मांहै कावडरै मिस जाऊं । जायनै ऊपर एक भाटो नाखू" । पीडी भांजू" ।" सु सोमइयारै देहुरै निजीक आयो" । त्यां महादेव पैली पूजारानूं कह्यो—“फलांणियो बांभण क्रोध भरियो आवै छै" थे मांहि मत आवण दो ।" तितरै ओ आयो । उणे वरजियो, तरै उण बांभण महादेवरा पूजारानूं कह्यो-“मोनूं क्यूं वरजो छो?" तरै कह्यो-“महादेवजी वरजियो छ ।” तरै उण कह्यो-"थे महादेवनूं पूछो, इसड़ी सेवा करतां म्हारा हाथ क्यूं बढ़ाया ?" तरै महादेव कहायो—“पैलै भव तूं रजपूत थो, ___I सभी लोग हल्ला सुन करके आये । 2 राज्यके चौकीदार और कोतवाल भी आये। 3 खोज देखे। 4 तब चौकीदारोंको खोज करते-करते यह कावर वाला ब्राह्मण मिला। 5 इन्होंने खून के छींटे देखे। 6 तब उसको पकड़ा। 7 फिर उसकी गुदड़ीमें छुरी मिल गई। 8 उन्होंने फिर उसे मजबूत पकड़ा। 9 कोतवालने जा कर राजासे अर्ज की। 10 इसने ऐसा काम किया है, किस दंडकी आज्ञा होती है ? II चौकीदारोंने हाथ काट लिये। 12 यह तो फिर उस कावरको ले कर चल दिया। 13 महादेव पर ब्रह्मकोप चढ़ा। 14 इस बार । 1 5 पत्थर पटक दूं। 16 शिवलिंगको तोड़ दूं । 17 सो वह सोमनाथके मंदिरके निकट पाया । ( पंद्रहवीं शतीके आस पास सोमनाथ महादेवको 'सोमईया महादेव' कहा जाता था।-"ताहरां देस मांहि सोमईउ असपति लीधइ जाइ", "गुजराति सोरठ सोमईया वाहरि विसv वीतूं" दे०-कवि पद्मनाभ कृत 'कान्हड़दे प्रबंध' प्रथम खण्ड । 'सोमईया' शब्द 'सोमनाथ' का अपभ्रंश रूप है । ) 18 अमुक ब्राह्मण क्रोधसे भरा हुआ आ रहा है। 19 इतनेमें यह पाया। 20 उन्होंने उसे मंदिरमें जानेसे रोका। 21 मुझे क्यों रोकते हो ? 22 ऐसी सेवा करते रहने पर भी मेरे हाथ क्यों कटवाये ? 23 पूर्व जन्ममें तू राजपूत था।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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