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________________ [ १८७ मुंहता नैणसीरी ख्यात जींदराव तण कीतू जिसा' जे लीधो जाळोर जुड़ि। कर त्यूं समो पूजै न को त्यैस कूण पूजंत तुड़ि ॥ ६ सिवियांणो गिरसोन जेण एकण दिन जीता । वीरनरायण वंस वहै वेसास वदीता ॥ दहियावत' ढुंढार मार संग्राम मनावै । कर सह वरस कटक्क पछै नाडूळ पजावै ।। सुरतांण सरसबळ सांमहा आप प्रांण अवरज्जिया। कीतू कंधार मछरीक कुळ गह एवडै गरज्जिया ॥ १० विवन कीतू वसुह सुतन ऊठिया सवाई । सांवतसी महणसी वेध वीजाड़ वडाई ।। वीजड़ तणे बिप्राव पांच पांचेही पांडव पर। एकैके आगाह अाभ गह राखै असमर ॥ जसवंत समर लूंणो जिसा लोहगढ़ लूंभा लखा। इक एक विरद-गह ऊठिया मार मार करता मुखा ।। ११ अरबद्दह परमार काह्न'ऐका कणियागिर । सीह पंच सद्द णवै सहै कोटां ताकै सिर ।। वीजड़रा धर वेध वसै बिन लोप विचाळे । क्रांमत'' हेकां' करै चक्र हेकां हू चाळे ।। मावै नहीं बीहै न मन पोहव' प्रमाण प्रगट्टिया। देवड़ा दूट"देसां दहण आग खाय कर ऊठिया ॥ १२ पंचवीस पंमार तेड़ जांनां तिड़ तोड़े । थांण गूजरखंड मुगल मुंडाहड़ मोडै ॥ लूंणो सांमो लोह मुवो दळ दळपत मारै। 1 जैसा। 2 उसके समान कौन हो सकता है। 3 मारवाड़का इतिहास-प्रसिद्ध सिवाना नगर । 4 गिरसोन = सोनगिरि = स्वर्णगिरि, जालोरके किलेका नाम । 5 दहिया राजपूतोंका प्रदेश। 6 इस प्रकार। 7 समान । 8 तलवार.। 9 कीर्तिमान् । 10 अर्बुद (आव) । II कान्हड़दे। 12 जालोरका किला कनकगिरि। 13 युद्ध। 14 पौरुष । 15 एक बार । 16 पृथ्वी। 17 प्रवल । ..
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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