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मुंहता नैणसीरी ख्यात चौथे मारग माल भोग' संजुगत भरावें ॥ पंचमै इंड प्रथिमल्लरै एह वात मांनी असुर । दस सहस लाद अल्लावदी पूरूवै अजमेरपुर ।। ५ प्रथीमाल परमाण वधै चहुवांण तणे बळ । तेण वंस बहन्नाल दांन दीपियो दसावळ" ।। वळ बाहड़ दे जेण जेण पंडवो प्रजाळे । चाहड़दे अस चढ़े वैर गंजै चौवाळ ॥ अजमेर हुवा नर एतला' नवलक्खी उग्रह लिया। सीलंत पांण सुरतांणसूं कंदळ सुरतांणी किया ॥ ६ रायसिंघ तिण पाट रहै सेवै तुरकांणौ। लाखणसी धर छाड़ हुवो नाडूलो रांणौ ।। सेवा कीध सकत्त वधै वरदान वड़ाई । चीतोड़गढ़ वधनोर हुवो चहुं मांन सवाई ॥ चहुवांण वंस रूपक' वडो रावां गंजन वैरहै । वरदान आसल लीधौ वडै खुरासांणां ऊपर खड़े ॥ ७ तेरैह सहस तुरंग सकत' वरदान समप्पै । नाडूलो नाडूल थांन पासावर थप्पै ।। पाटण ऊली प्रोळ'' दांण चहुवांण उग्नाहै। पंच लक्ख पोकरण वरस वरसै निरबाहै ।। मेवाड़ मंडळ लाखो डंडै पसरै पूरव ही परै । त्रिहुं राय सीस लाखण तपै ज्यौं प्रारंभै त्यौ करै ।। ८ श्रग लाखण संपनो' पाट सोही परगट्ट । सोहीरै महेंद्रराव जेण खत्र दूणो खट्टे । महेंद्र वंस मछरीक' सुवन आलण संपन्नो । पालणरै असराव पास जिंदराव उपन्नो' ।।
I कर, मालगुजारी। 2 के । 3 दसों दिशाओंमें। 4 इतने । 5 प्राप्त करता है । 6 नाश । 7 यश । 8 वैरके बदलेमें। 9 शक्ति, देवी। 10 पाटनकी मुख्य पौल पर । I लाखन जव स्वर्ग चला गया। 12 जोरावर । 13 सम्पन्न हुआ। 14 उत्पन्न हुआ। .
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