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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १८५ कह्यो- 'उठो ! फेरा ल्यो।" तरै लोह कियो । पचीसांनं ही कूट मारिया । जांनीवासै ऊपर जायनै जांनियां कूट मारिया । जांनी सोह मारिया । आबू भाई लूंगो थो तठै खबर मेलणी । तितरै एकण माहेरै रजपूत कह्यो--"हू जाईस ।” तरै कह्यो--"तूं क्यूंकर जाईस ?" तरै कह्यो-“जाचक हुइ जाईस ।" तरै ओ रजपूत जाचक होयनै उठे गयो । यो ठाकुर चहुवांण नै पंवार वातां करता था उठे पाय कह्यो"वधाई, व्याह हुवो।" तरै लूंणो बोलियो-“व्याह हुवो ?" वळे पूछियो'--"व्याह हुवो ? जस किणनूं हुवो' ?" तरै कह्यो-"जस चहुवांणांनूं हुवो नै पंवारांरी वडी भगत हुई।" तरै चहुवांण लूंग कह्यो पंवार दलपतनूं--"जु आबू मांहरो छै । वे मारिया' । जिसड़ो तूं व्है तिसड़ो हूई ।" माहोमांहि दलपत नै लूंणो लड़ मूवा । तितरै वे पिण वांनूं मारनै चढ़िया था सु प्राय आबू चढ़िया" । दुहाई फेरी'" चहुवांण कहै छै इण तरै पाबू खाटियो'। संमत १२१६ माह वदि १, चहुवांण तेजसी विजड़रो बेटो पाट वैठो । तरै पंवार केएक तो कठीही गया। केएक तेजसीरै चाकर रह्या" । सु सिरदार पंवार हुतो, तिणरो बेटो मेरो हुतो, सु आबूरी धरती माहे हीज तेजसीरो चाकर हुय रह्यो थो। तिण मेरारी बहन लजसो तेजसी परणियो हुतो सु उणनूं गांव ४ तथा ५ पट दिया । सु यो मेरो तेजसीरो साळो। तेजसी कनै आवै तरै तेजसी मेरा, .. पूछ "मेरा ! अाबू म्हारी क थारी ?" तरै मेरो कहै--"ग्राबू राजरी'।" ___ I तब कटारियोंसे वार किये। 2 समस्त वरातियोंको मार दिया। 3 पुनः पूछा । 4 यश किनको मिला ? (सांकेतिक प्रश्न है । तात्पर्य विजय किसकी हुई ?) 5 तब कहायश चौहानोंको मिला और पँवारोंकी बड़ी खातिरदारी हुई अर्थात्-विजय चौहानोंकी हुई और पँवार सव मारे गये । 6 अांबू हमारा है। 7 वे (पॅवार) मारे गये। 8 अव जैसा तं मेरेसे व्यवहार करेगा वैसा मैं भी। 9 इतनेमें वे भी उनको (पंवारोंको) मार कर चढ़े थे सो पावू आ पहुंचे । 10 अपने शासनकी घोपणा की। II कहा जाता है कि चौहानोंने इस प्रकार प्राबू प्राप्त किया। 12 वि.सं. १२१६ माघ कृ.१को चौहान विजड़का पुत्र तेजसी सिंहासन पर बैठा.। 13 तव पवार कई तो कहीं चले गये।' 14 और कई तेजसीके . सेवक वन कर रहे। 15 उस मेराकी वहन लजसी तेजसीको व्याही गई थी। 16 श्रावू आपकी।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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