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________________ .... . मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १५५ सांभळ रह्या' । गई कीवी । भैरवरा पटारो गांव पाडीव राव रांमा भैरवोतनूं दियो । तठा पछै वरस अंक प्रथीराज, राम, रायसिंघ, नाहरखांन, चांदो घात देखता हुता। एक दिन राव मारण गया। सीसोदियो परबतसिंघ ऊपर गयो । देवड़ो रामो ऊपर गयो । राव आदमियां थोड़ांसू हीज बैठो हुतो। मैं मांहे गया। रावनूं मारियो । सीसोदिया परबतसिंघन मारण घणो ही कियो', पिण दिन ऊभा, घात लागी नहीं । सोर हुवो । राव अक्षराज वरस २ रो हुतो सु धाय कोटड़ी मांहे ले पैठी', ऊपर गूदड़ा दिया । प्रथीराजरै साथ घणोई सोझियो । अखैराज प्रतापबळी सु उणरै हाथ लागो नहीं । तितरै रावरो साथ भेळो हुवो"। सीसोदियो परबतसिंघ, देवड़ो रांमो और साथ खंगार भेळो हुवो" । इणांनूं रावळा-घरां मांहे घेरिया'" । गोळियां, सरांरी मार पड़ण लागी । इणां अखैराजरी खबर की, कठै छ ? तरै राज-लोग खबर पोहचाई'"--"अजेस कुसळ छै, फलांणी कोटड़ी मांहे छै" । इणांरो साथ मुंह बैठो छै । वडा-वडा, पांणी पियांनै पोहर २ हुवा छै" । कोटड़ीरी फलाणी बाजू निराळी छै । उठीनूं सिलावट तेडायनै अखैराजनूं काढ़ लो।" ..... पछै सीसोदियो परबतसिंघ, देवडै रांमै सिलावट तेडाय हळवै-हळवै.' भीत खोलाय." अखै राजनै काढ़ लियो । इणांरो बळ वधियो । इणां सोर कियो- "धीरा ! हरामखोरां ! अखैराज मांहरै हाथ आयो छै'।" तरै इणांरो बळ घटियो। रात पड़ी। च्यारूं तरफथी I राव सुन करके रह गये। 2 हुई, नहीं हुई करदी। 3 को। 4 के लिये। 5 सिसोदिया पर्वतसिंहको मारनेके लिये बहुत प्रयत्न किया। 6 लेकिन दिन था इसलिये कोई घात नहीं लगी। 7 घुस गई। 8 ऊपर बिस्तरे डाल दिये। 9 तलाश किया। 10 अखैराज भाग्यशाली सो उनके हाथ नहीं लगा। II इतनेमें रावका सैनिक समाज इकट्ठा हुवा। 12 देवड़ा रामा और दूसरा साथ खंगारसे मिले। 13 इनको राज-महलोंमें घेर लिया । 14 गोलियें और वाणोंकी मार पड़ने लगी। IS कहाँ है ? 16 तव रानियोंने संदेश भेजा। 17 अभी तक तो कुशल-पूर्वक है, अमुक कोठरीमें है। 18 इनका रौनिकसमाज द्वार पर बैठा हुआ है। 19 बड़े-बड़ोंको पानी पिये दो पहर बीत गई है। 20 कोठरीकी अमुक वाजू एकान्तमें है। 21 उस ओर सिलावटको तुलाकर अखैराजको निकाल लो। 22 धीरे-धीरे। 23 दीवारको तुड़वा कर। 24 इनका बल बढ़ गया। ...... 25 अखेराज हमारे हाथ आ गया है। "
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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