________________
मुंहता नैणसी. ख्यात
१ सेलहथ बालो ।
|| राजसी राधावत ।
१ भाटी कांन प्रांवावत ।
१ मांगळियो गोपाळ भोजउत ।
१ रा ।। खींचो रायसलोत ।
१ दो ।
[ १५३
3
तठा पछै वळ" देवड़ो विजो हरराजोत दरगाह पुकारू' गयो नै मोटे राजानूं जोधपुर हुवो' तरे" इणांरो पिण दावो हुतो' नै पातसाह जांमवेग नै मोटा राजानूं सीरोही ऊपर विदा किया। पछे सीरोही . ऊपर आया । धरती विगाड़ी' ।
'देवड़ो पतो सांवतसियोत ।
तोगो सूरावत ।
सूर नरसिंघो ।
चीबो जेतो खींवावत | चूक कर मारिया " ।
1
राठोड़ वैरसल प्रथीराजोत पेट मार मुवो" । ति समै देवड़ो विजो ने जामवेग मोटा राजाथी" जुदी फोज ले दौड़िया हुता" । तठे देवड़ो विजो राव सुरतांण मारियो " नै संमत १६६७रा आसोज वद ε राव सुरतांण काळ प्रापत हुवो" ।
5
- राव राजसिंघ सुरतांणरो" । राव सुरतांण काळ कियो तरं टीके बैठो" । भोळो सो ठाकुर हुवो" । एक वार राव सुरतांगरो दूजो बेटो सूरसिंघ ग्रास-वेध कियो थो" । सूरसिंघरी भीड़ " देवड़ो भैरवदास,
I शैलधारी । 2 जिसके बाद 1 3 फिर । 4 पुकारू बन कर गया। 5 राव मालदेवके पुत्र मोटा-राजा उदयसिंहको जब जोधपुर प्राप्त हुआ । 6 तब । 7 इनकी (विजाकी) भी यह मांग थी । 8 सिरोही पर चढ़ कर प्राये । 9 सिरोहीकी धरती (देश) का नाश किया । 10 दगा करके मार दिया । II पृथ्वीराजका पुत्र राठौर वैरसल पेट में कटारी मार कर मर गया. । 12 से 1 13 दौड़े । 14 जहां पर राव सुरतानने देवड़ा विजाको मार डाला 1. 15 राव सुरतान मर गया । 16 सुरतानका पुत्र । 17 राव सुरतान मर गया तब गद्दी पर बैठा । 18 यह ठाकुर भोला सा था। 19 एक बार राव सुरतानके दूसरे पुत्र सूरसिंहने राजद्रोह किया था । 20 सहायता ।