SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात "हमैं ढील न कीजै ।" गांव दतांणी सीसोदियो जगमाल, राव रायसिंघरो डेरो छ, तिण ऊपर राव सुरतांण नगारो देन पायो । इणार खबर कोई नहीं । कोस १ तथा २ रो वीच छै । औ जांण राव विजो भीतरोटन गयो छ तठी जाय छै । संमत १६४० रा काती सुद ११ नै राव सुरतांण इणां ऊपर आयो । वेढ़ हुई। इतरो साथसीसोदियो जगमाल, राव रायसिंघ, कोळीसिंघ तीनै सरदार काम आया-- १ राव रायसिंघ चंद्रसेणोत । १ सीसोदियो जगमाल उदैसिंघोत । १ कोळीसिंघ, दांतीवाड़ारो धणी । १ राव गोपाळदास किसनदासोत गांगावत । १ राव सादूळ महेसोत कूपावत । १ राव पूरणमल मांडणोत कुंपावत । १ राव लूणकरण सुरतांणोत गांगावत । १ राव केसोदास ईसरदासोत । १ चहुवांण सेखो झांझणोत । १ पड़िहार गोरो राघावत । १ पड़िहार भांण अभाउत । १ देवो ऊदावत। १ भा नेतसी। १ भा जैमल । १ वारहठ ईसर। १ मांगळियो किसनो। १ धांधू खेतसी। I अव देर नहीं कीजिये। 2 राव सुरतान अपनी चढ़ाईका नगारा वजाता हुआ पाया। 3 कुछ भी। 4 अंतर। 5 ये जानते हैं कि राव विजय भीतरोटको गया है इसलिये यह भी उधर जा रहा हैं। 6 राव सुरतान इनके ऊपर चढ़ पाया। 7 लड़ाई हुई। 8 इतने मनुष्य ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy