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मुंहता नैणसीरी ख्यात "हमैं ढील न कीजै ।" गांव दतांणी सीसोदियो जगमाल, राव रायसिंघरो डेरो छ, तिण ऊपर राव सुरतांण नगारो देन पायो । इणार खबर कोई नहीं । कोस १ तथा २ रो वीच छै । औ जांण राव विजो भीतरोटन गयो छ तठी जाय छै । संमत १६४० रा काती सुद ११ नै राव सुरतांण इणां ऊपर आयो । वेढ़ हुई। इतरो साथसीसोदियो जगमाल, राव रायसिंघ, कोळीसिंघ तीनै सरदार काम आया--
१ राव रायसिंघ चंद्रसेणोत । १ सीसोदियो जगमाल उदैसिंघोत । १ कोळीसिंघ, दांतीवाड़ारो धणी । १ राव गोपाळदास किसनदासोत गांगावत । १ राव सादूळ महेसोत कूपावत । १ राव पूरणमल मांडणोत कुंपावत । १ राव लूणकरण सुरतांणोत गांगावत । १ राव केसोदास ईसरदासोत । १ चहुवांण सेखो झांझणोत । १ पड़िहार गोरो राघावत । १ पड़िहार भांण अभाउत । १ देवो ऊदावत। १ भा नेतसी। १ भा जैमल । १ वारहठ ईसर। १ मांगळियो किसनो। १ धांधू खेतसी।
I अव देर नहीं कीजिये। 2 राव सुरतान अपनी चढ़ाईका नगारा वजाता हुआ पाया। 3 कुछ भी। 4 अंतर। 5 ये जानते हैं कि राव विजय भीतरोटको गया है इसलिये यह भी उधर जा रहा हैं। 6 राव सुरतान इनके ऊपर चढ़ पाया। 7 लड़ाई हुई। 8 इतने मनुष्य ।