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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १५१ रावरा चाकर सुरतांणरै घरां मांहे हुता,तिणै घर झालिया' ; वेढ़ की; घर हाथ नाया" । पछै खिसांण' हुय फेर जगमाल विजो साथै ले दरगाह गयो । उठै जाय पुकार को । पछै पातसाह जगमालरी भीर राव रायसिंघ चंद्रसेनोत, कोळी सिंघ दांतीवाड़ारो धणी, के तुरक मदत दे विदा कियो । जगमाल फोज ले सीरोही आयो । राव सुरताण सीरोही छोड़ दी। भाखररी खंभ झाली"। जगमाल आय सीरोही मोहल बैठो। कितराहेक दिन हुवा तरै जगमाल जांणियो-सैहर" तो लियो, हमैं चढ़ने रावन आबूरी तळक ही छोड़ावू" । सु जगमाल असवार हुवो । राव पिण प्रांण मुकाम कोस २ बाकी छोड़ कियो । सु जगमालरै कटकै विचारियो-"जु राव सुरतांणरै वसीरा रजपूतांरा गांव छै तिण ऊपर फोज १ मेलीजै", ज्यूं रजपूत जुदा-जुदा बिखर जाय । पछै सुरतांणनूं कूट मारिस्यां'।" तरै देवड़े विजै हरराजोतनूं रा' खींवो मांडणोत, रा' राम रतनसियोत, के तुरक भीतरोट ऊपर विदा करणरो विचार कियो ।' तरै देवड़े विजै, जगमाल रायसिंघनूं कह्यो-"मोनूं थांसू अळगो करस्यो तो राव थां ऊपर पावसी" " तरै राठोड़े ठाकुरै कह्यो-"जिण गांव कूकड़ो न हुवै तठे पिण रात विहावै छै" " आ वात कही तरै विजो भीतरोटरी तरफ गयो। बांस राव सुरतांण देवड़ा समरान खबर दीवी--"विजो भीतरोटनूं साथ ले गयो ।" तरै राव सुरतांणनूं देवड़े समरै कह्यो I जिन्होंने घर पकड़ लिये । घरोंसे नहीं निकलनेके निश्चय पर दृढ़ रहे। 2 लड़ाई की। 3 घर हाथ नहीं आये। 4 लज्जित होकर। 5 सहायतार्थ । 6 कई। 7 पहाड़ की गालको पकड़ा । पहाड़की गालमें शरण ली। खंभ = दो पहाड़ोंके वीचका सँकड़ा और ढालू गुप्त स्थान । 8 महल । 9 कितनेक । 10 शहर। II अब चढ़ाई करके रावको पाबूकी तलहटी भी छुड़वाएं। 12 रावने भी दो कोश शेष छोड़ कर अपना मुकाम किया। 13 सेनाने। 14 जिसके ऊपर सेनाकी एक टुकड़ी भेजी जाय। 15 पीछे सुरतानको मार देंगे। 16 कई तुर्कोको भीतरोट पर भेजनेका विचार किया। 17 मुझको तुम्हारेसे अलग कर देंगे तो राव तुम्हारे ऊपर चढ़ आयेगा। 18जिस गांवमें मुर्गा नहीं होता है वहां भी रात वीत कर दिन निकलता है। व्यंग्योक्ति कहावत है । भावार्थ यह है कि-तुम्हारे विना भी हम अपनी रक्षा कर सकते हैं।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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