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________________ १४६] मुंहता नैणसीरी ख्यात था तटै आयो' । इणे भेळा हुय टीको राव सुरतांणरै काढ़ियो । देवड़ो विजो ईडर चाकरी करै थो सु विजानूं राव सुरतांण तेड़ायो । विजो रोह, सरोतरे होय आय उतरियो । तरै आ खवर राव कलैनूं नै चीवा पातैनूं पोहती । विजो आवै छै । तरै कलै देवड़े रावत हामावतनूं असवार ५०० देनै घाटारै मूडै विजै सांमां मेलियो । रावत हामावत गांव माळ आय ऊतरियो नै विजो गांव ब्रहमाण प्राय ऊतरियो' । व्रहमाणथी कोस १ माथै वेढ हुई । असवार १५० विज कनै था । रावत कनै तो साथ घणो थो, पिण विजो जीतो । आदमी ४० कलारा काम पाया । आदमी ६० घावै-पड़िया' । रावत हांमावत कलारी फोजमें सिरदार तिको पूरे-घावै पड़ियो" । आदमी १३ विजारा काम आया। विजो वेढ़ जीतनै रामसेण राव सुरतांण भेळो हुवो" । विजो आवतां सांमां सुरतांणरो घणो बळ वधियो। विजो राह-वेधी' रजपूत थो। सु रावजीनं कह्यो-"मिलकखांनजी जाळोररो धणी छै । इणन आपणी भीर'' करो।" तरै मिलकखांन विचै आदमी फेरियो । कह्यो-"म्हे रुपिया लाख १ थां→ दां छां" । थे मांहरो मदत आवो।" तरै मिलकखांन कह्मो-“लाख रुपियां वासतै भाईबंध मराया न जाय । सीरोहीरा परगना ४ मोनूं दो तो थांहरी मदत आऊं । परगनांरी विगत-१ स्यांणो, १ वडगांव, १ लोहियांणो, I तव राव सुरतारण जहाँ समरा और सूराके गाड़े इसकी प्रतीक्षामें खड़े थे, दौड़ कर वहां पाया। 2 इन्होंने सम्मिलित होकर राव सुरतानको राज्य-तिलक कर दिया। (यह राज्यतिलक रामसीनमें हुअा था) । 3 देवड़ा विजय ईडरमें चाकरी करता था उसे सुरतानने बुला लिया। 4 विजय सिरोत्रां गांव होता हुआ रोहुआ गांवमें या पहुँचा। 5 तव यह समाचार राव कला और चीवा पातेको पहुँचा। 6 तब देवड़ा कलाने हामाके पुत्र रावतको ५०० सवारोंके साथ गिरवरकी घाटीके द्वार पर विजयको रोकनेके लिए भेजा। 7 हामाका पुत्र रावत माल गांवमें ठहरा और विजय वरमांण गांवमें आकर ठहरा। 8 लड़ाई। 9 परन्तु विजयकी जीत हुई। 10 आहत हुए। II सम्पूर्ण आहत होकर गिर गया। 12 राव सुरतानके शामिल हुया । 13 विजयके आ जानेसे सुरतानका बल वहुत बढ़ गया। IA दूरदर्शी। 15 इसको अपना सहायक वनायो। 16 तव इसके लिए मिलकखांके वीच . आदमीका पाना-जाना किया गया। 17 हम एक लाख रुपये तुमको देते हैं । . ..
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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