________________
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १४५ वरस १रो हुवै तठा सूधो थारी कुण मजाल, तूं टीको लै' ?' इणे-उणे विरस हुवों । झै रीसाय परा गया । विजो मास चार हुवा सीरोही भोगवै छै । आ वात रांणै सांभळी, तरै राव कलो मेहाजलोत - दीवांणरो भाणेज थो, इणनूं टीको दे, साथै फौज दे सीरोहीनूं विदा कियो । औ सीरोही आया। विजो नीसर ईडर गयो । कलो सीरोही धणी हुवो । राव कलो सीरोही साहिबीरो धणी । मदार चीबा खींवा भारमलोत ऊपर छै । देवड़ो सूरो, हरराज पिण चाकर छै । पिण दिलगीर तो गाढ़ा छै । नै सुरतांण पिण प्रांण कलानूं जुहार कियो छै । गांव केइक पटै दिया छै. तठे रहै छै । करैक' चाकरी पिण करै छै । एकण दिन राव कलो दरवारथी'" ऊठियो छै । देवड़ो समरो, सूरो हरराज दुलीचे बैठा छै. तरै बीवै पाता फरासनूं कह्यो"दुलीचो उरो ल्याव" ।” फरास प्राय देखै तो ठाकुर बैठा छ । तरै पाछो गयो। चीवे पातै पूछियो-"दुलीचो लायो ?" तरै फरास कह्यो-"सूरोजी,समरोजी, हरराज बैठा छै ।" तरै चोबै कह्यो-"थारा वाप लागै छै? दुलीचो उरो ल्याव ।" तरै फरास वळ आयो, तरै इणे दीठो । ओ फिर-फिर जाय । तरै इणे कह्यो-"दुलीचो चीबो पातो मंगावै छै ?" तरै इण कह्यो-'राज' सारीही बात समझो छो।" तरै झै परा ऊठिया,कह्यो--"परमेस्वर कियो तो कलारी जाजम नहीं बैसां"।" औ रीसायनै घरै गया। सुरतांणसं इणे वात कराई-- तूं प्राव, म्हां भेळो होय" ।" तरै राव नासनै समरा, सूरारा गाडा
I जहां तक इस वंशमें एक भी बच्चा एक वर्षकी आयुका मौजूद है, तेरी क्या मजाल कि तू राज्यका अधिकारी वने? 2 इनके और उनके परस्पर विरोध हुआ। 3 ये रुष्ट हो कर चले गये। 4 विजय चार माससे सिरोहीका राज्य कर रहा है। 5 मेहाजलका पुत्र । 6 सब कामका आधार भारमलका पुत्र चीवा खींबाके ऊपर है। 7 परंतु मनमें बहुत नाराज हैं। 8 सुरतानने भी आकर कलाको (राज्याधिकारी होनेका) प्रणाम किया। 9 कभीकभी। 10 से। II कालीन उठाकर ले आव। 12 क्या ये तेरे वाप लगते हैं ? 13 फिर। 14 तव इन्होंने देखा। 15 श्रीमान् आप। 16 परमेश्वरने चाहा तो अब हम कलाकी जाजम पर (कलाके दरबारमें) नहीं बैठेंगे। 17 ये रुष्ट होकर घर चले गये। 18 सुरतानसे इन्होंने कहलवाया कि तू पाकर हमारे शामिल हो।