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________________ १४४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात "मेवाड़, जोधपुर हूँ वसीस तो पिण रु० २००००) रो पटो मोनूं कोकोई देणोइज करसी' । उणसूं सील-कवल किया । वीचमें महादेवजी दिया । तरै सिकाररो मिस कर नीसरिया । चीवासूं भेद भागो नहीं ; तरै कोसे २ गयां चीवो कहै-"हू इण वातमें जांणू नहीं, जांण न दां ।" तरै डूंगरोत थो, तिण कह्यो चीवान - "तूं उरो पाव, हूं तोन मारीस' ।" तरै चीवो झख मार रह्यो । राव सुरतांण नासनै रांमसेण गयो । वीचली वात छै" देवड़े विजै सूजानै मारनै सूजारी वसी ऊपर साथ मेलियो । उठे मालो सूजावत'' मरियो । वसी सारी लूटी । प्रथीराज नै स्यामदासरी मा इणांनूं क्रेहड़ १ मांहे ऊपर पला नांखनै रही" । वे परा गया तरै फ्रेहड़ मांहेथी रातरा नीसरनै प्रावूरी गोडै वार गया। राव सुरतांण रांमसेण आयो । तरै ग्रेही सूजारा वेटा इणांरा गाडा रांमसेण ले आया'" । देवड़ो विजो राव मांनारा वेटा साम्हो गयो थो, .. तरै उणे विजारै खोळे डावड़ो आंण मेलियो । डावड़ान काई वलाइ हुई सु जीव नीसर गयो'" | विजो पाछो आयो, नै देवड़ा समरानूं कह्यो-"मोनूं टीको दो।" घणी ही कही पिण इणै कह्यो"राव लाखारै पेटरा तो वीस जणा छै" । जठा सूधो एक डावड़ो . . ___ रावने कहा,मेवाड़ या जोधपुर जहां भी मैं जाकर रहूंगा, इनमें से कोई न कोई मुझे रु. २००००)के पट्टेकी जागीरी दे ही देंगे। 2 उससे शपथकी और वचन दिया। 3 कोई प्रतिज्ञा-भंग नहीं करे अत : वीचमें महादेवजीको रख कर प्रतिज्ञाको दृढ़ किया। 4 तव शिकारका वहाना करके वहांसे निकल गये। 5 चीवाको इस भेदका पता नहीं लगा। 6 जाने नहीं दूंगा। 7 मैं तुझको मार दूंगा। 8 राव सुरतान भाग कर रामसीन चला गया। 9 वीचका छूटा हुआ प्रसंग है। 10 सूजाकी प्रजाके ऊपर सेना भेजी। II सूजाका पुत्र । 12 पृथ्वीराज और श्यामदासकी माता, इन दोनों बच्चोंको एक खड्डेमें उन पर कपड़ा डालकर छिपकर रही। 13 अावूकी सीमासे वाहर चले गये। 14 तव यहही सूजाके इन पुत्रोंके गाड़ोंको रामसीन ले आया। 15 तव उसने अपने वच्चेको लाकर विजयकी गोदमें रख दिया। 16 वच्चे को न जाने क्या वला हुई कि उसके प्राण निकल गये। 17 राव लाखा के वंशमें २० व्यक्ति हैं।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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