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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १३५ पीढ़ी सीरोहीरा धणियांरी, संमत १७२१ रा मोह माहै पाढ़े महेसदास लिख मेली। संमत १४५२ वैसाख वद २, गुरुवार राव सहसमल सोभारै सरणुवारै भाखररी खंभ' नवो सहर आबूथी कोस १० वसायो । आबून सरणुवारो भाखर एक लगती डाक छै। सरणुवारो भाखर एढो क्यं न छै। पीढियांरी विगत१ सालवाहन २ जैवराव ३ अंबराव नै गोगो भाई ४ दळराव ५ सिंघराव ६ राव लाखण ७ बळ ८ सोही ६ महीराव १० अणहल ११ जिंदराव १२ पासराव १३ पाल्हण १४ कीतू १५ महणसी १६ पतो १७ बिजड़ । अठै तो महणसीरो १७ लुभो मंडियोड़ो छै नै केई विजड़ कीतूरो कहै छै । १८ सळखो १६ रिणमल २० सोभो २१ राव सहसमल" २२ राव लाखो २३ राव जगमाल २४ राव अखैराज जगमालरो २५ राव रायसिंघ अखैराजरो २५ राव दूदो अखैराजरो २६ राव उदैसिंघ रायसिंघरो ..., २६ राव मानसिंघ दूदारो २६ राव सुरतांण I सोभा और सरगुवा दोनों पहाड़ोंके वीचमें। 2 पाबू और सरगुवाके दोनों पहाड़ एकल मिले हुए हैं । 3 दुर्गम। 4 लाखणके समयका एक शिलालेख सं० १०३६ का नाडोलसे प्राप्त है। 5 कीतूने जालोर पर अधिकार कर लिया था । सं. १२१८ का इसका एक ताम्रपत्र नाडोलसे प्राप्त हुआ है। 6 सहसमलने चन्द्रावतीकी राजधानीको छोड़कर ... अपने पिताके स्मारक-स्वरूप सिरोही नगर बसाया था ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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