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मुंहता नैणसीरी न्यात
वात सीरोहीरा धणियारी आद चहुवांण अनळकुंडरी' उतपत । वसिस्ट-रिखीस्वर आबू ऊपर राकस निकंदण खत्री ४ उपाया१ पँवार ।
२ चहुवांण । ३ सोळंकी।
४ डाभी। चहुवांण घणकरा सारा राव लाखण नाडूळ धणी । तिणरी पीढ़ी आसराव हुवो । तिणरै घरै वाचाछळ' देवीजी पाया छ । तिणरै पेटरा बेटा ३ हुवा । देवड़ा कहांणा छ । प्राबू पंवारांरी ठाकुराई हुती । तद अावूथी कोस ५ ऊमरणो छ त, सहर वसतो । पछ वीजड़रा बेटा ५ महणसी, आल्हणसी, • • • • ऐ लोग गूढ़ो कर रह्या था । पछै पंवारांसू सगाई देणी कीवी । २५ साँवठी दी। एक भाई अोळ रह्यो । पछै वै जान कर आया । सगळांनूं डेरा देराया । परणीजणनूं जुदा बुलाया। भला रजपूतांनूं वैरांरा वेस पहराया"। पछै परणाय सुवण मेलिया" । तठ के चँवरियां मांहीं पचीस सिरदार मारिया । नै जांनीवासै साथ उतरियो उणनूं अमलपांणियां मांहै काई वळाई दी सु वे छकिया तरै कूट-मारिया। अोळ दियोथो उण उठ वांस "सिरदार थोतिणनूं मारियो। आबू ऊपर चढ़ दौड़ियो । आबू हाथ आयो । सं१२१६ रा माह वद १ पंवारांसूं गयो ।
____ I चौहानोंकी उत्पत्ति अग्नि-कुण्डसे । 2 वशिष्ठ ऋपिश्वरने प्रावू पर राक्षसोंका नाश करनेके लिये चार क्षत्रियोंको उत्पन्न किया। 3 बहुतसे । 4 वाचा-वचन, छल-अभिलापा इच्छा-पूत्तिका वचन देने वाली देवी। 5 ये लोग छिपकर रह-रहे थे । 6 पीछे पंवारोंको अपनी पुत्रियाँ देनेका वचन दिया । 7 एक साथ २५ दीं। 8 धनकी एवज में एक भाईको उनकी चाकरीमें रखा। 9 पीछे वे वरात लेकर आये। 10 समस्तको रहनेके लिये जनिवासे दिलवाये । II चुनिंदा राजपूतोंको स्त्रियोंका वेश पहिनाया। 12 फिर उनका पाणिग्रहण कर सौभाग्य-रात्रि मनानेको भेजा। 13 वहां कई विवाह-मंडपोंमें २५ सरदारोंको मार डाला। 14 अफीम-शराव आदिमें। 15 बला। 16 ठोक-पीट कर मार दिया। 17 पीछे।
श्री रामनारायण दूगड़ इसी ख्यातके अपने हिंदी अनुवादमें पृ. १२१ में वीजड़के छः पूत्रोंके. नाम जसवंत, समरा, लुगा, लूंभा, लखा और तेजस्वी लिखते हैं सो ठीक प्रतीत होते हैं। महणसी, पाल्हणसी वीजड़के पुत्र नहीं हैं ।