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________________ १२४ ] · मुंहता नैणसीरी ख्यात ३३ जगधर रावत उधरणरो। परबतसर धणी तिकै मांडल, परबतसरथी कोस १ छै त, ठाकुराई। उठे देहुरा, वावड़ी, कूा अजैस छै'। ३४ दूदो रावत जगधररो। ३५ रावत मालौ दूदारो। ३६ रावत कुंतल मालारो। ३७ रावत मोडो कुंतलरो। ३८ रावत सूजो नै जोगो मोडारा। ३६ पेरजखांन जोगारो। ४० हरीदास । ४१ रामदास, सिणहड़ियै छ । ३३ विल्हण अनवी उधरणरो । तिणरै सारी माहरोठ हुती। गांव देपारो, माहरोटथी कोस २ भाख रमें छ त? वसता । त, कोट छ, तळाव छ । तठै ठाकु राई हुई । वे देपारा दहिया कहावै । ३४ बीबो, तिणरो करायो परबतसर बीबासर तळाव छै । इणरी बैर कंवळावती रांणा ईहड़री बेटी। . तिणरो करायो राणोळाव तळाव छ । जेळ री बैहन । ३५ पोहपसेन बीबारो । राजा कुंतरी बेटी रतनावती परणियो हुतो । कुंतल गांव १२ सूं पीपळ दीवी थी। छतीसपवन दीवी थी । खेजड़ली दीवी थी। ३६ कंवळसी। ३७ जैसिंघ । ३८ कील । I अभी तक हैं। 2 वीवा-जिसने परवतसर गाँव में वीवासर नामक तलाव वनवाया था । इसकी स्त्री राना ईहड़की पुत्री और जेलूकी वहिन कमलावती थी जिसने रागोलाव तलाव वनवाया था। 3 बीवाका पुत्र पुहपसेन, जो राजा कुन्तकी कन्या रत्नावतीसे व्याहा था। कुंतलने रत्नावतीको बारह गाँवोंके साथ पीपळ गाँव दहेजमें दिया था और उसके साथ छत्तीसपवन और खेजड़ली भी । (छत्तीसपवनसे तात्पर्य ३६ जातियोंका . दहेज में देनाभी हो सकता है)।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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