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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १२५ ३६ नरबद । कहै छै-नागोर मारी हुती' । ४० लखो। ४१ पासो। ४२ सूरज। ४३ प्रथीराज, चीतोड़ काम आयो । हाडांरो चाकर । ४४ जैमल । ४५ हमीर, निपट वडो रजपूत हुवो । ४६ विहारी, ४६ रांमदास, ४६ मुकंददास, ४६ नरहरदास ४५ विजैरांम जैमलरो। ४६ मोहणदास । ४७ सुदरदास । ४८ सांवळदास। ४८ स्यांम। ४८ गोवरधन। ४७ महासिंघ। गीत दहिया हमीररो महाकाळ जमजाळ जोधार जैमल्लरो, कळहरो कथन संसार कहियो । __ I कहा जाता है कि नरवदने नागोरको विजय किया था। 2 दहिया हमीरके सम्बन्धके गीतका अर्थ--- जयमलका पुत्र वीर हमीर महाकाल और यमपाशके समान हो गया है । संसारमें युद्ध करने वालोंमें वह कथनरूप (प्रशंसा करने योग्य) कहा गया है । दुरात्मा बादशाहके लिये हाडा दूदा गल्यरूप हुया किन्तु दहिया हमीर उसी दूदाके हृदयमें शल्यरूप हुआ ॥१॥ नृपति नरवदका वंशज दहिया हमीर अत्यन्त निर्भय वीर हुया । अपने स्वामीका काम सिद्ध करने वालों में बह बड़ा वीर और धीर पुरुष हुया । हाडा दूदा तो बादशाहके हृदयका शल्य हुअा परन्तु उस हाड़ाके हृदयका शल्य तो हमीर ही हुआ ।।२।। अत्याचारोंसे मुक्ति दिलाने वाले रण-कुशल हमीरने, सदा सजा हुया रहकर अपने ___ स्वामीके कामोंको सिद्ध अर्थात् विजय करके उनपर उसकी ओरसे अधिकार किया । जिन प्रकार पराक्रमी दूदाने बादशाहको चैन नहीं लेने दिया उसी प्रकार दुरात्मा दुवा हृदय में भी हमीर शल्यकी भांति सटगता रहा ।। ।।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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