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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १०७ आदमियां ऊपर आदमी आवै छै-“सताव' आवो।" सूरजमल जाणे
छै-“जाऊं क न जाऊं ?" तरै. एक दिन माजी खेतू राठोड़नै पूछियो-- -: “मोनूं राणारा प्रादमियां ऊपर आदमी तेड़ा पावै छै । मोसूं रांणो
बुरो छ। मोनूं मारसी। कहो तो विखो कर रांणानूं हाथ दिखाऊं।" .. तरै मा कह्यो--"इसड़ी बात क्यूं कीजै ? प्रांपै इणांरा सदा चाकर
छां । इसड़ी तो आज पैहली प्रांपासू बुरी कोई हुई नहीं । जो रांणो तोनूं मारसी तोही सताब रांणा कनै जावो । घणी चाकरी करो।" तरै सूरजमल रांणा कनै गयो। गोकह्नरै' तीरथ वाळो वाजणो गांव बूंदी चीतोड़री गड़ासंध छै, तटै आय मिळियो । रांणो मनमें घणी खोट" राखै छै । नै सूरजमलरो आदर घणो कियो । 'सूरजमल भाई !' कह वतळायो । पछै एकण दिन कह्यो--"म्हे एक हाथी लियो छ, तिण म्हे भेळी असवारी करां ।" पछै उण हाथी रांणो चढ़ियो । सूरजमल ही घोड़े चढ़ आयो। एकण ठोड़ सांकड़ी दिसी सूरजमल ऊपर हाथी वहतो थो। रतनसी पाप चढ़ियो थो । सूरजमल ऊपर हाथी झोकियो', सु सूरजमल घोड़ो लात मार काढ़ दियो । दाव टाळियो । सूरजमल रीस करी । रांण कह्यो-'हाथी माडां'' प्रायो। घणी हळभळ की"।" दिन एक आडो घातनै कह्यो-'प्रांपै सिकार सुअरांरी मूळांरी" खेलस्यां ।" तरै सूरजमल कह्यो-“भली वात ।"
एक दिनरी वात छै। रांणो पंवार रांणी आगै कहै छै'-"एक म्हे सासतो सूअर-एकल मारस्यां । थांनूं तमासो दिखावस्यां।"
तीरथ गोकह्नरै पंवार रांणी सिनांन करण गई थी। तथा पैहली -: . सूरजमल सिनांन करण गयो थो । सु पंवार आई तरै सूरजमल
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__ I शीघ्र। 2 बुलावे पर बुलावे पाते हैं। 3 ऐसी । 4 'गोकर्ण' नामक तीर्थस्थान जो टोडारायसिंहके पास है। 5 निकट। 6 दगा। 7 साथमें सवारी करें। ...8 सँकड़े मार्गकी ओर । 9 डाल दिया। 10 किन्तु सूरजमलने घोड़ेको लात मार कर
आगे निकाल दिया। II हाथी बलात् आ गया। 12 प्रसन्न करनेके लिये खुशामदकी बातें की। 13 किसी बड़े वृक्ष आदिकी खोहमें दवकर शिकारकी टोहमें बैठे रहनेका स्थान । . 14 राना अपनी पंवार जातिकी रानीसे कह रहे हैं। 15 आज हम एक बहुत वलवान् सूअरको मारेंगे।