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मुंहता नैणसीरी ख्यात : हूं भाणा सरीखा पात्रनै दे नै अमर करू । घोड़ो हाथी दोनूं भांणानूं दिया । भाणानं वड़ी मोज दे', लाख' दे विदा कियो। सु रांणारो डेरो चीतोड़थी कोस १० सिकार रमणरे मिस कियो छ । मन मांहै सूरजमल मारणरो मतो छ । रांणी पंवार रावत करमचंदरी बेटो साथै छै। सु भांणो उठे पायो दीवांगरै मुजरै'! तरै दीवारण पूछी-"कठै हुता' ?" भाग अरज कीवी-"बूंदी हुतो ।” तरै रतनसी कह्यो-"सूरजमलरी वात कहो।" तरै घणा सूरजमलरा वखांण किया । तरै रांगा सुहागौ नहीं। भांगो समझ्यो नहीं । जु रांणो इणसूं इतरी कुमया' करै छ । तरै पुछियो-"इतरा सूरजमलरा बखांण करो छो सु इतरो सूरजमलमें कानूं दीठो ?" तरै भांग रीछांरी वात मांड कही नै कह्यो'--"दिवाण ! सूरजमल इसड़ो रजपूत छै सु जिको उणनूं मारै सु कुसळ न जाय ।” तरै रांणे इण वात ऊपर बोहत भारणातूं वुरो मानियो । तितरै किणो एक भांणनू पूछियो–“थे इतरो सूरजमलरो जस करो सु हमार थांनूं काटूं दियो ?" तरै कह्यो- "मोनूं लाल लसकर-घोड़ो, मेघनाद हाथी नै लखपसाव दियो।" तरै रांणारे वळ जोर आग लागी । भांणन कह्यो-"थे मांहरो हदमें मत रहो, थे वृंदी जावो।" तरै भांणौ पूंछ-झाटक' ऊठियो। पाछो वृंदीनै हालियो तठा पैहलो या खवर सूरजमल पोहती। सूरजमल सामां आदमी भांणरै मेलिया । घणो आदर कर तेड़ हिरणांमो गांव सांसण कियो । घोड़ा, हाथो, लाखपसाव घणोई द्रव्य दियो । कह्यो- “म्हारो भाग ! दीवांण मोसौं वडी मया करी। भांण सरीखो पात' दियो।" सु रांगो सिकार खेलतो-खेलतो वृंदी दिसा पावै छै। सूरजमल कनै
I भारणाके समान सुपात्र चारणको दानमें दे अपना नाम अमर करदूं। 2 सुख पहुंचाया। 3 लाख-पसाव नामक दान देकर विदा किया। 4 भाणा वहां पर राणाकी सेवामें प्रणाम करनेको अाया। 5 कहां थे ? 6 प्रशंसा। 7 अच्छा नहीं लगा। 8 अवकृपा रखता है। 9 क्या देखा? 10 तव भांणने रीठोंको मारनेकी वात विस्तारपूर्वक कही और फिर कहा। II रानाके और अधिक क्रोधाग्नि भभक उठी। 12 एकदम। 13 चल दिया। 14 पहुँची। 15 हिरणामो गांव शासन-दानमें दिया।
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