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________________ मुंहता नैरणसीरी ख्यात [ १०५ लाल-लसकर-घोड़ो, मेघनाद हाथी टोके दिया सु मोनूं दै' ।" इण कह्यो-"हू क्यूं जाट पटेल थो नहीं, सु चारण दिया था, सु हमैं पाछा मांगिया दूं ?" वात कराड़ा बार हुई। ___रांणो रतनसी सूरजमल मारणरा दाव-घाव' करै छै । तिण समै चारण भांगो, मीसग जातरो, मोड़ारो वारहठ, चीतोड़रै गांव राठ-कोदमिये रहै छै । सु नावजादी' चारण छै । वडो पाखरांरो कहणहार छै । सु भाणारा जजमान' गोड़ छ । बूंदीरा चाकर छ । तिणां कनै जाय छै । मास १ दुय मास उठै रहै । तरै भाणो हाडा सूरजमलरै पिरण उठे जावै, तरै मुजरो करै । गुणे गीतां गावै । तद सूरजमल घणी मया करै छै । एक दिन सूरजमलजी कह्यो"भांणाजी ! हालो' ! सूरांरी सिकार जावां !” भांणो नै सूरजमल सिकार सूरांरी गया । बीजो साथ हाके मेलियो । भांणो नै सूरजमल दोय जणा हीज हुता । सूर तो हाथ नाया" नै दोय रीछ आजाजीत" आगै पाछै आया । इसड़ा कदै प्रांखियां ही दोठा नहीं । जिणां दीठां मरीजै । सु सूरजमल उणसूं बाथां हुवो"। एक कटारीतूं मार पाड़ियो। तितरै दूजो आयो। उणनूं ही उणहीज भांत मारियो। भांगनूं वडो इचरज आयो" । सु भाण कह्यो-“थे कांसू कियो" ?" ___तरै कह्यो- "कासूं करां". मांडां गळे पड़िया' ।" पछै पाछा पाया । भांग गीते-गणे सुरजमलनं रीझावियो । तरै सरजमल जांणियो-लाल लसकर-घोड़ो नै मेघनाद हाथी लारे रांगो पड़ियो छै। सु माहरा परधान रजपूत मोनूं दबायने रांणानूं दिरावसी, तो I मुझको दे। 2 मैं कोई जाट पटेल तो था नहीं जिसको चरानेके लिये दिये हों सो • अब मांगने पर मैं वापस करदूं। 3 बात सीमा बाहर हो गई। 4 मारनेका अवसर और उपाय। 5 विख्यात। 6 बड़ी चमत्कारी कविता करने वाला है। 7 यजमान । 8 गुणोंकी कविता बना कर सुनाता है। 9 चलें। 10 साथके दूसरे मनुष्योंको शिकार खोज कर घेर लानेके लिये भेज दिया। II सूअर तो हाथ नहीं आये। 12 जो किसीसे भी जीते नहीं जा सकें। 13 ऐसे कभी अांखोंसे देखे नहीं। 14 सूरजमल उससे बाहु-युद्ध करने लगा। 15 आश्चर्य हुआ। 16 आपने यह क्या ही आश्चर्यजनक काम किया ? 17 क्या करें। 18 बलात आकर ऊपर पड़ गये। 19 भाणाने सूरजमलके गुणोंके गीत गाकर प्रसन्न किया।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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