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________________ १०४ मुहता नैणसीरी ख्यात तिणवास्तै म्हांसू आ वात दीवांणरै कहै कै नहीं। नैं रतनसीजी फुरमावै तो वात अलादी' छ ।” तरै राणे रतनसी सांमो जोयो । रतनसी कह्यो सूरजमल-"थे दीवांण हुकम करै सु करो। झै म्हारा..' भाई छै । थे म्हारा सगा छो। रजपूत छो। म्हे थांसू बुरो मानां नहीं।" तर सूरजमल दीवांण कह्यो त्यूं कियो । राणे सांगै रिणथंभोर विक्रमादित उदैसिंघनूं दियो। इणे जाय अमल कियो। ___ हाडो नाराइणदास मूवो तर रांग सांगै सूरजमलनूं टीको मेलियो । लाल-लसकर-घोड़ो भैराकी कीमत रु० २००००), हाथी मेघनाद कीमत रु० ६००००) री, रो दियो। रांणो सांगो हाडां सूरजमलथी बेटांथी इधको प्यार करै छै। या वात अठै ही रही। ____तठा पछै कितराएक दिने रांग सांगै काळ-कियो । टीके रतनसी... वैठो। हाडी करमेती आपरा बेटांनूं ले रिणथंभोर गई। रतनसीरी.. छाती मांहै रिणथंभोर भाव नहीं । पूरविया पूरणमलनूं रिणथंभोर मेलियो। कह्यो-", विक्रमादित उदैसिंघनं तेड़ लाव।" तरै पो . रिणथंभोर गयो । तरै हाडी करमेती कह्यो-" तो डावड़ा नांह्ना छ । इणांरो जवाब सूरजमलजी करसी। तरै प्रो बूंदी सूरजमलजी कनै गयो। जायन कह्यो-"रांण रतनसी विक्रमादित उदैसिंघनूं तेड़ाया . . . . . छै। सु वे कहै छै-"मांहरो जवाब सूरजमलजी करसी ।" तरै ..... सूरजमल कह्यो-म्हे ही आवां छां, तरै दीवांणसूं हकीकत' मालम करस्यां ।" तरै पूरणमल चीतोड़ पायो । राणे हकीकत पूछी तरै इण कह्यो"वे तो घणूं ही प्रावै पिण सूरजमल आवण दै नहीं।" तरै रतनसीरै.... डील आग लागी । आगै पिण टीकारो सूरजमल हाथी १ घोड़ो १ . ले पायो थो, सु रतनसी राखिया नहीं। कह्यो-"राणे सांगै तो. .. 1 और रतनसी कहदें तो वात दूसरी है। 2 आपसे । 3 अधिकार। 4 के साथ। 5 से। 6 मर गया । 7 विक्रमादित्य और उदयसिंहके अधिकारमें रणथंभोरका रहना रतनसीको सहन नहीं होरहा है । 8 बुलाकर ले आ। 9 बुलाया है। 10 तव रानाको वत्तान्त निवेदन करूंगा। 11 करमेती तो भेजनेके लिये तैयार है परन्तु सूरजमल आने नहीं .. देता। 12 तव रतनसीके शरीरमें क्रोधाग्नि उठ गई।..
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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