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मुहता नैणसीरी ख्यात धरती रस पड़ी' । दीवांणरा साथनूं सीख दीवी । तठा पछै अापही बडी जमीयत करनै दसरावान' रांणारै मुजरै गयो नै मेवाड़री
चाकरी करण लागो। ... एक बात यू सुणी--हरराज डोड बूदीरो, मैणांरो एकल
असवार घणो धरतीरो विगाड़ करै। तद मैणा घणा ही खसथाका। हरराजनू पोहच सकै नहीं। कितराएक रिपिया' मैणा कना वरसरा वरस नाळबंधीरा लै नै धरती पिण मारे। तिण समै हाडा देवा बांगावतरै घोड़ो १ थो सु मांडवरै पातसाह मंगायो। इण दियो नहीं । तरै देवो भैंसरोड़ परी छोड़नै बूदी मैणांरो मेवास जाण अठै बूदी प्रायो। तरै बूदीरै मैणे दूड़ी-नाचणरो' घर थो, त? घरठोड़नू जायगा दिखाई । सु दूड़ीनू वयुं अगमरी खबर पड़ती। सु दूड़ीनै देवै भेढ रहतां सुख" हुवो। सु दूड़ी एकंत देवानू कहै छै-'इण धरतीरा धणी थे हुस्यो ।' पछै मैणे एक दिन हथाई" बैठां कह्यो-'इण हरराज डोड म्हां माहै वडी लीक लगाई छै । मांहरै माथै डंड कियो छै सु पिण लै नै धरती पिण मारै छै1 ।' तरै देवे कह्यो-'इणनू कोई पालै" तो तिणनू थे कासू दो।' तरै मैण वडेरै19 कह्यो-मांहरै धरतीरो हासल छ, तिण माहैसू आध म्हे थांनू देवां। तरै इणां बोल-कोल सूस-सपत करी20 | नै दीवाळीरो दीवाळी हरराज डोड बूदी आवतो, घावदेतो। सु देवो तो उण भैराकी-घोड़े चढ़नै पाखर घातनै जीनसाल पहर तयार हवो । नै पैली-कांन
.... 1 भूमि पर पूर्ण अधिकार होगया। 2 दशहरा । 3 इसप्रकार। 4 डोड जातिका क्षत्री हरराज इकल्ला घुड़सवारी करके मैणों और उनकी भूमि का बिगाड़ करता है। 5 मैणे प्रयत्न कर थक गये । 6 हरराजको नहीं पहुंच सकते। 7/8 प्रतिवर्ष नालबंधी-कर के रूपमें कितने ही रुपये भी लेलेता है और लूटपाट कर भूमिमें विगाड़ भी करे। 9 दूड़ी नामक नर्तकी। 10 तब रहनेके लिये स्थान दिखाया। 11 भविष्य । 12 प्रीति । 13 इस भूमिके स्वामी तुम होवोगे। 14 वातचीत वा पंचायतकी चौकी। 15 धाक जमा रखी है। 16 हमारे पर डंड भी लगा दिया है सो भी लेता है और लूटपाट भी करता है। 17 रोकदे। 18 क्या। 19 तव बड़े और वृद्ध मणेने कहा । 20 तब इन्होंने कौल-वचन और सौगंद शपथ की।
21 प्रहार करता । 22 देवा तो उस अरबी घोड़े पर पाखर डाल, कवच पहिन चढ़कर . .. . . तयार हुआ।