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मुहता नैणसीरी ख्यात.
. १७ जोध गोपाळोत रावत हरीसिंघनूं दरगाह ले गयो । पछै देवळियो
रांणाथी अल्हादो कियो । पछै उजण अहमदावाद चाकरी कीवी । ..
अथ बूदीरा धणियारी ख्यात लिख्यते । वार्ता--
.... चौबीस साख चहुप्रांणारी, तिण माहै साख १ राव लाखणरा ....... पोतरा हाडा बूदीरा धणी ।। ..... बूंदी में मीणा कदीम रहता। नै हाडो देवो बांगारो भैंसरोडथी
विखायत थको जाय बूंदी रह्यो हुतो । सु एक वात यूं सुणी-बूंदी मांहे ...बांभण रहता, तिणांरी बेटी मैणां कहे म्हां परणावो । तद वांभणां
उजर घणो ही कियो । पिण मैणा मांनै नहीं, तरै हाडा बांभणारा जजमान था, सु बांभण देवा कनै भैंसरोड जाय पुकारिया । तरै हाडां कह्यो-“थे बेटी द्यो । व्याह थापो । नै उणनूं कह राखजो। म्हे हीडा माहै क्यू समझां न छां। मांहरां हाडा जजमान छ । भैंसरोड रहै छ, सु म्है तेडस्या ।” तद मैणां कह्यो-“भली वात छ ।” पछै व्याह थाप नै हाडांनूं तेड़िया। तंद मैणांनूं बांभणां कह्यो-“म्हे म्हारी रीत व्याह करस्यां12}' तद मैणा मदंध' हुता किण ही खोट-चूक" री वात समझ्या नहीं। पछै साहां पैहली सड़ा सबळा बंधाया। मांहै हाडे सोर पथरायो" । ऊपर घास पाथरियो । पछै मैणानूं बुलाय जांनीवासै उतारनै दारू पायो । तरै छकिया वेसुध हुवा । तरै केई
घावे मारिया, के सड़ांमें फूंक दिया। हाडै मैणा सोह3 मारने ... वळे गांव ऊपर जायनै बाँसै को रह्यो थो सो कूट-मारनै बूंदी . लीवी । बीजा हुता सु नास गया, तिके बूंदेला वाजै छ ।
1 देवलियाको रानाके अधिकारसे छीन लिया। 2 देवलियाके स्वामीने उज्जैन और अहमदावादकी सेवा स्वीकार की। 3 विपदावस्थामें। 4 इस संबंधमें एक वात यों सुनने में आई। 5 ब्राह्मण। 6 विवाह करदो। 7 तब ब्राह्मणोंने बहुतेरी आपत्ति की। 8 तुम बेटी देना स्वीकार करलो। 9 विवाहकी तिथि निश्चित करलो। 10 प्रथानुसार परिचर्या करने में हम कुछ नहीं समझते। 11 बुलायेंगे। 12 हम अपनी रीतिसे विवाह करेंगे। 13 मदान्ध । 14 छल-कपट । 15 विवाहसे प्रथम । 16 बड़े झोंपड़े। 17 हाडोंने उनके अन्दर वारूद बिछवा दिया। 18 विछा दिया। 19 जनिवासा। 20 नशेमें छककर अचेत होगये। '21 तव कइयोंको तलवारके घाट उतार दिया और कइयोंको सड़े जलाकर फूंक दिया। 23 । समस्त। 24 पुनः। 25 पीछे। 26 ठोक-पीट कर । 27 और थे सो भागगये।