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८१२ सुत्तागमे
[ववहारो नो ण्हं कप्पइ अण्णमण्णं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए (वासावासं वत्थए कप्पइ प०), कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अण्णमण्णं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए (हेमंतगिम्हासु) ॥ १३२ ॥ त्ति-बेमि ॥ ववहारस्स चउत्थो उद्देसओ समत्तो ॥४॥
- ववहारस्स पंचमो उद्देसओ नो कप्पइ पवत्तिणीए अप्पबिइयाए हेमंतगिम्हासु चारए ॥ १३३ ॥ कप्पई पवत्तिणीए अप्पतइयाए हेमंतगिम्हासु चारए ॥ १३४ ॥ नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पतइयाए हेमंतगिम्हासु चारए ॥ १३५॥ कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थाएं हेमंतगिम्हासु चारए ॥ १३६ ॥ नो कप्पइ पवत्तिणीए अप्पतइयाए वासावास वत्थए ॥ १३७ ॥ कप्पइ पवत्तिणीए अप्पचउत्थाए वासावासं वत्थए ॥ १३८ । नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थाए वासावासं वत्थए ॥ १३९ ॥ कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पपंचमाए वासावासं वत्थए ॥ १४० ॥ से गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणिंसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पतइयाणं बहूणं गणावच्छेइणीणं अप्पचउत्थाणं कप्पइ हेमंतगिम्हासु चारए अण्णमण्णं नी(निर)साए ॥ १४१॥ से गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणिसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पचउत्थाणं बहूणं गणावच्छेइणीणं अप्पपंचमाणं कप्पइ वासावासं वत्थए अण्णमण्णं नीसाए ॥ १४२ ॥ गामाणुगामं दूइज्जमाणी 'णिग्गंथी य जं पुरओ (कट्ठ) काउं विह(रेजा)रइ सा आहच्च वीसंभेजा, अत्थि याइं थ काइ अण्णा उवसंपजणारिहा सा उवसंपज्जियव्वा, नत्थि याई थ काइ अण्णा उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्पणो कप्पाए असमत्ते (एवं) कप्पइ सा एगराइयाए पडिमाए जण्णं जण्णं दिसं अण्णाओ साहम्मिणीओ विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, नो सा कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ सा तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परो वएजा-वसाहि अजो! एगरायं वा दुरायं वा, एवं सा कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो सा कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए, जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ, सा संतरा छेए वा परिहारे वा ॥ १४३ ॥ वासावासं पजोसविया णिग्गंथी य जं पुरओ काउं विहरइ सा आहच्च वीसंभेज्जा, अत्थि याइं थ काइ अण्णा उवसंपज्जणारिहा सा उवसंपजियव्वा, नत्थि याइं थ काइ अण्णा उवसंपजणारिहा तीसे य अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पइ सा एगराइयाए पडिमाए जण्णं जण्णं दिसं अण्णाओ साहम्मिणीओ विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, नो सा कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ सा तत्थ कारणवत्तिय वत्थए, तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परो वएजा-वसाहि अजो ! एगरायं वा