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अ० ३६ खेत्तओ अरुवी अजीवा ] सुत्तागमे
अणावाहे, इत्थीहिं अणभिहुए । तत्थ संकप्पए वासं, भिक्खू परमसंजए ॥ ७ ॥ न स गिहाई कुव्विज्जा, णेव अन्नेहिं कारए । गिहकम्मसमारंभे, भूयाणं दिस्सए वहो ॥ ८ ॥ तसाणं थावराणं च सुहुमाणं वादराण य । तम्हा गिहसमारंभ, संजओ परिवज्जए ॥ ९ ॥ तहेव भत्तपाणेसु, पयणे पयावणेसु य । पाणभूयदयट्ठाए, न पए न पयावए ॥ १० ॥ जलवन्ननिस्सिया जीवा, पुढवीकट्ठनिस्सिया । हम्मंति भत्तपाणेसु, तम्हा भिक्खू न पयावए ॥ ११ ॥ विसप्पे सव्वओ धारे, बहुपाणि - विणासणे । नत्थि जोइसमे सत्थे, तम्हा जोइं न दीवए ॥ १२ ॥ हिरण्णं जायस्वं च, मणसा वि न पत्थए । समलेडुकंचणे भिक्खू विरए कयविक्क ॥ १३ ॥ किणतो कइओ होइ, विक्किणंतो य वाणिओ । कयविक्रयंमि वट्टंतो, भिक्खू न भवइ तारो ॥ १४ ॥ भक्खियव्वं न केयव्वं, भिक्खुणा भिक्खवत्तिणा । कयविक्कओ महादोसो, भिक्खावित्ती सुहावहा ॥ १५ ॥ समुयाणं उंछमेसिज्जा, जहासुत्तमििदयं । लाभालाभंमि संतु, पिंडवायं चरे मुणी ॥ १६ ॥ अलोले न रसे गिद्धे, जिब्भाते अमुच्छिए । न रसट्टाए भुंजिजा, जवणट्ठाए महामुणी ॥ १७ ॥ अच्णं रयणं चेव, वंदणं पूयणं तहा । इड्डीसक्कारसम्माणं, मणसा वि न पत्थए ॥ १८ ॥ सुक्कज्झाणं झियाएज्जा, अणियाणे अकिंचणे । वोसहकाए विहरेज्जा, जाव कालस्स पज्जओ ॥ १९ ॥ निज्जूहिऊण आहारं कालधम्मे उबहिए । जहिऊण माणुसं बोदि, पहू दुक्खा विमुच ॥ २० ॥ निम्ममे निरहंकारे, वीयरागो अणासो | संपत्तो केवलं नाणं, सासयं परिणि ॥ २१ ॥ तिमि ॥ इति अणगारज्झयणं णाम पंचतीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥ ३५ ॥
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अह जीवाजीवविभत्ती णामं छत्तीसहमं अज्झयणं
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जीवाजीवविभक्ति मे, सुगमणा इओ । जं जाणिऊण भिक्खु, सम्मं जयइ संजमे ॥ १ ॥ जीवा चैव अजीवा य, एस लोए वियाहिए । अजीवदेसमागासे, अलोगे से वियाहिए ॥ २ ॥ दव्यओ खेतओ चेव कालओ भावओ तहा । पवणा तेभि भवे, जीवाणमजीवाण य ॥ ३ ॥ रूविणो चेवsवी य, अजीवा दुविहा भवे । अवदसा बुता, रूविणो य चउत्रिहा ॥ ४ ॥ धम्मत्थिकाए तसे, तम्पएसे य, आहिए | अहम्मे तस्स देसे य, तप्पएसे य आहिए || ५ || आगासे तस्स देसे य, पसे य आहिए | अद्धासमए चेव, अम्वी दहा भवे ॥ ६ ॥ धम्माम्मे य दो चैत्र, लोगमित्ता वियाहिया । लोगालोगे य आगासे, समए समयखेत्तिए ॥ ७ ॥