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सुत्तागमे
[उत्तरज्झयणसुत्तं
॥ ४७ ॥ दस वाससहस्साइं, किण्हाए ठिई जहन्निया होइ । पलियमसंखिज्जइमो, उक्कोसो होइ किण्हाए ॥ ४८ ॥ जा किण्हाए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं नीलाए, पलियमसंखं च उक्कोसा ॥ ४९ ॥ जा नीलाए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं काऊए, पलियमसंखं च उक्कोसा ॥ ५० ॥ तेण परं वोच्छामि, तेउलेसा जहा सुरगणाणं । भवणवइवाणमंतर-, जोइसवेमाणियाणं च ॥ ५१ ॥ पलिओवमं जहन्ना, उक्कोसा सागरा उ दुन्नहिया । पलियमसंखेज्जेणं, होइ भागेण तेऊए ॥ ५२ ॥ दसवाससहस्साई, तेऊए ठिई जहन्निया होइ । दुन्नुदही पलिओवम-,असंखभागं च उक्कोसा ॥ ५३ ॥ जा तेऊए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं पम्हाए, दस उ मुहुत्ताहियाइ उक्कोसा ॥ ५४ ॥ जा पम्हाए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं सुक्काए, तेत्तीसमुहुत्तमब्भहिया ॥ ५५ ॥ किण्हा नीला काऊ, तिन्नि वि एयाओ अहम्मलेसाओ । एयाहि तिहि वि जीवो, दुग्गइं उववजई ॥ ५६ ॥ तेऊ पम्हा सुक्का, तिन्नि वि एयाओ धम्मलेसाओ। एयाहि तिहि वि जीवो, सुग्गइं उववजई ॥ ५७ ॥ लेसाहिं सव्वाहिं, पढमे समयंमि परिणयाहिं तु । न हु कस्सइ उववाओ, परे भवे अस्थि जीवस्स ॥ ५८ ॥ लेसाहिं सव्वाहि, चरिमे समयंमि परिणयाहिं तु । न हु कस्सइ उववाओ, परे भवे होइ जीवस्स ॥ ५९ ॥ अंतमुहुत्तमि गए, अंतमुहुत्तमि सेसए चेव । लेसाहिं परिणयाहिं, जीवा गच्छंति परलोयं ॥६० ॥ तम्हा एयासि लेसाणं, आणुभावे वियाणिया । अप्पसत्थाओ वजित्ता, पसत्थाओऽहिट्ठिए मुणि ॥ ६१ ॥ त्ति-बेमि ॥ इति लेसज्झयणणाम चोत्तीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥ ३४॥
अह अणगारज्झयणं णाम पंचतीसइमं अज्झयणं
सुणेह मे एगग्गमणा, मग्गं बुद्धेहि देसियं । जमायरंतो भिक्खू, दुक्खाणंतकरे भवे ॥ १॥ गिहवासं परिच्चज, पवजामस्सिए मुणी । इमे संगे वियाणिज्जा, जेहिं सजंति माणवा ॥ २ ॥ तहेव हिंसं अलियं, चोज अबंभसेर्वेणं । इच्छाकामं च लोभं च, संजओ परिवजए ॥ ३ ॥ मणोहरं चित्तघरं, मल्लधूवेण वासियं । सकवार्ड पंडुरुल्लोयं, मणसा वि न पत्थए ॥ ४॥ इंदियाणि उ भिक्खुस्स, तारिसंमि उवस्सए । दुक्कराइं निवारेउं, कामरागविवडणे ॥ ५॥ सुसाणे सुन्नगारे वा, रुक्खमूले व एगओ। पइरिक्के परकडे वा, वासं तत्थाभिरोयए ॥६॥ फासुयंमि