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सत्तावीसइमज्झयणसमत्ती]
सुत्तागमे
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निस्सलो, वंदित्ताण तओ गुरुं । काउस्सग्गं तओ कुन्ना, सव्वदुक्खविमोक्खणं ॥ ५० ॥ किं तवं पडिवजामि, एवं तत्थ विचिंतए । काउस्सग्गं तु पारित्ता, करिज्जा जिणसंथवं ॥ ५१ ॥ पारियकाउस्सग्गो, वंदित्ताण तओ गुरुं । तवं संपडिवज्जेत्ता, कुजा सिद्धाण संथवं ॥ ५२ ॥ एसा सामायारी, समासेण वियाहिया । जे चरित्ता बहू जीवा, तिण्णा संसारसागरं ॥ ५३ ॥ ति-बेमि ॥ इति सामायारी णामं छव्वीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥ २६॥
अह खलंकिजणामं सत्तवीसइमं अज्झयणं
000000000 थेरे गणहरे गग्गे, मुणी आसि विसारए । आइण्णे गणिभावंमि, समाहिं पडिसंधए ॥ १ ॥ वहणे वहमाणस्स, कंतारं अइवत्तई । जोगे वहमाणस्स, संसारो अइवत्तई ॥ २ ॥ खलंके जो उ जोएइ, विहम्माणो किलिस्सई । असमाहिं च वेएइ, तोत्तओ से य भजई ॥ ३ ॥ एग डसइ पुच्छंमि, एगं विंधइऽभिक्खणं । एगो भंजइ समिलं, एगो उप्पहपट्ठिओ ॥ ४ ॥ एगो पडइ पासेणं, निवेसइ निवज्जई । उछुद्दई उप्फिडई, सढे बालगवी वए ॥ ५ ॥ माई मुद्धेण पडई, कुद्धे गच्छइ पडिप्पहं । मयलक्खेण चिट्ठई, वेगेण य पहावई ॥ ६ ॥ छिन्नाले छिंदई सेल्लिं, दुईतो भंजए जुगं । से वि य सुस्सुयाइत्ता, उजहित्ता पलायए ॥ ७ ॥ खलंका जारिसा जोज्जा, दुस्सीसा वि हु तारिसा । जोइया धम्मजाणंमि, भज्जती धिइदुब्बला ॥ ८ ॥ इडीगारविए एगे, एगेऽत्थ रसगारवे । सायागारविए एगे, एगे सुचिरकोहणे ॥ ९॥ भिक्खालसिए एगे, एगे ओमाणभीरुए। थद्धे एगेऽणुसासंमि, हेऊहिं कारणेहि य ॥ १० ॥ सो वि अंतरभासिल्लो, दोसमेव पकुव्वई । आयरियाणं तु वयणं, पडिकूलेइऽभिक्खणं ॥ ११ ॥ न सा ममं वियाणाइ, न वि सा मज्स दाहिई । निग्गया होहिई मन्ने, साह अन्नोऽत्थ व[ज] चउ ॥ १२ ॥ पेसिया पलिउंचंति, ते परियंति समंतओ । रायवेटिं च मन्नंता, करेंति भिउडिं मुहे ॥ १३ ॥ वाइया संगहिया चेव, भत्तपाणेण पोसिया। जायपक्खा जहा हंसा, पक्षमति दिसो दिर्सि ॥ १४ ॥ अद्द सारही विचिंतेइ, खलंकेहिं समागओ । किं मम दुट्ठसीसेहिं, अप्पा मे अवसीयई ॥ १५॥ जारिसा मम सीसा उ, तारिसा गलिगद्दहा । गलिगद्दहे जहिताणं, दटं पगिण्हई तवं ॥ १६ ॥ मिउमद्दवसंपन्नो, गंभीरो मुरामाहिओ । विहरद महिं महप्पा, सीलभूएण अप्पणा ॥ १७ ॥ ति-बेमि ॥ इति खलुकिजणामं सत्तवीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥ २७ ।।