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सुत्तागमे
[उत्तरज्झयणसुत्तं
रिक्खजोणिं, मोणं विराहेत्तु असाहुरूवे ॥ ४६ ॥ उद्देसियं कीयगडं नियागं, न मुंचई किंचि अणेसणिज । अग्गी विवा सव्वभक्खी भवित्ता, इत्तो चुए गच्छइ कट्ट पावं ॥४७॥ न तं अरी कंठछेत्ता करेइ, जं से करे अप्पणिया दुरप्पया। से नाहिई मच्चुमुहं तु पत्ते, पच्छाणुतावेण दयाविहूणो ॥ ४८ ॥ निरट्ठिया नग्गरुई उ तस्स, जे उत्तमढे विवज्जासमेइ । इमे वि से नत्थि परे वि लोए, दुहओ वि से झिज्झइ तत्थ लोए ॥ ४९ ॥ एमेवऽहाछंदकुसीलरूवे, मग्गं विराहित्तु जिणुत्तमाणं । कुररी विवा भोगरसाणुगिद्धा, निरट्ठसोया परियावमेइ ॥५०॥ सोचाण मेहावि ! सुभासियं इमं, अणुसासणं नाणगुणोववेयं । मग्गं कुसीलाण जहाय सव्वं, महानियंठाण वए पहेणं ॥५१॥ चरित्तमायारगुणन्निए तओ, अणुत्तरं संजम पालियाणं । निरासवे संखवियाण कम्मं, उवेइ ठाणं विउलुत्तमं धुवं ॥ ५२ ॥ एवुग्गदंते वि महातवोधणे, महामुणी महापइन्ने महायसे । महानियंठिजमिणं महासुयं, से कहेई महया वित्थरेणं ॥ ५३ ॥ तुट्ठो य सेणिओ राया, इणमुदाहु कयंजली । अणाहत्तं जहाभूयं, सुट्ठ मे उवदंसियं ॥ ५४ ॥ तुझं सुलद्धं खु मणुस्सजम्मं, लाभा सुलद्धा य तुमे महेसी । तुब्भे सणाहा य सबंधवा य, जं भे ठिया मग्गें जिणुत्तमाणं ॥ ५५ ॥ तं सि नाहो अणाहाणं, सव्वभूयाण संजया। खामेमि ते महाभाग!, इच्छामि अणुसासिउं ॥ ५६ ॥ पुच्छिऊण भए तुभं, झाणविग्यो उ जो कओ। निमंतिया य भोगेहिं, तं सव्वं मरिसेहि मे ॥ ५७ ॥ एवं थुणित्ताण स रायसीहो, अणगारसीहं परमाइ भत्तिए । सओरोहो सपरियणो सबंधवो, धम्माणुरत्तो विमलेण चेयसा॥५८॥ ऊससियरोमकूवो, काऊण य पयाहिणं । अभिवंदिऊण सिरसा, अइयाओ नराहिवो ॥५९ ॥ इयरो वि गुणसमिद्धो, तिगुत्तिगुत्तो तिदंडविरओ य। विहग इव विप्पमुक्को, विहरइ वसुहं विगयमोहो ॥ ६०॥ त्ति-बेमि ॥ इति महानियंठिजनामं वीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥२०॥
अह स:६पालीयं णामं एगवीसइमं अज्झयणं
चंपाए पालिए नाम, सावए आसि वाणिए । महावीरस्स भगवओ, सीसे सो उ महप्पणो ॥ १ ॥ निग्गंथे पावयणे, सावए से वि कोविए । पोएण ववहरते, पिहुंडं नगरमागए ॥ २ ॥ पिहुंडे ववहरंतस्स, वाणिओ देइ धूयरं । तं ससत्तं पइगिज्झ, सदेसमह पत्थिओ ॥ ३ ॥ अह पालियस्स घरणी, समुद्दम्मि पसवई । अह बालए ... १ निरओ जिणकप्पो वि ।