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अ० २० अणाहयालक्खणाइं]
सुत्तागमे
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अणाहया ॥ २३ ॥ पिया मे सव्वसारं पि, दिजाहि मम कारणा । न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्झ अणाहया ॥ २४ ॥ माया वि मे महाराय !, पुत्तसोगदुह ट्टिया। न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्झ अणाहया ॥ २५ ॥ भायरा मे महाराय!, सगा जेट्ठकणिट्ठगा । न य दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाहया ॥ २६ ॥ भइणीओ मे महाराय !, सगा जेट्ठकणिट्ठगा। न य दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाहया ॥ २७ ॥ भारिया मे महाराय !, अणुरत्ता अणुव्वया । अंसुपुण्णेहिं नयणेहि, उरं मे परिसिंचई ॥ २८ ॥ अन्नं पाणं च पहाणं च, गंधमल्लविलेवणं । मए नायमनायं वा, सा बाला नेव भुंजई ॥ २९ ॥ खणं पि मे महाराय !, पासाओ वि न फिटई । न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्झ अणाहया ॥ ३० ॥ तओ हं एवमाहंसु, दुक्खमा हु पुणो पुणो । वेयणा अणुभविउं जे, संसारम्मि अणंतए ॥ ३१ ॥ सई च जइ मुच्चेज्जा, वेयणा विउला इओ। खंतो दंतो निरारंभो, पव्वए अणगारियं ॥ ३२ ॥ एवं च चिंतइत्ताणं, पसुत्तोमि नराहिवा! । परियत्तेतीए राईए, वेयणा मे खयं गया ॥ ३३ ॥ तओ कल्ले पभायंमि, आपुच्छित्ताण बंधवे । खंतो दंतो निरारंभो, पव्वइओऽणगारियं ॥ ३४ ॥ तो हं नाहो जाओ, अप्पणो य परस्स य । सन्वेसिं चेव भूयाणं, तसाणं थावराण य ॥ ३५ ॥ अप्पा नई वेयरणी, अप्पा मे कूडसामली। अप्पा कामदुहा घेणू, अप्पा मे नंदणं वणं ॥ ३६ ॥ अप्पा कत्ता विकत्ता य, दुहाण य मुहाण य । अप्पा मित्तममित्तं च, दुप्पट्ठिय सुपढिओ ॥ ३७ ॥ इमा हु अन्ना वि अणाहया निवा!, तमेगचित्तो निहुओ सुणेहि । नियंठधम्म लहियाण वी जहा, सीयंति एगे बहु कायरा नरा ॥ ३८ ॥ जो पव्वइत्ताण महव्वयाई, सम्मं च नो फासयई पमाया । अनिग्गहप्पा य रसेम गिद्धे, न मूलओ छिन्नइ बंधणं से ॥ ३९ ॥ आउत्तया जस्स न अस्थि काइ, इरियाए भासाए तहेसणाए । आयाणनिक्वेवदुगुंछणाए, न वीरजायं अणुजाइ मग्गं ॥ ४० ॥ चिरं पि से मुंडरुई भवित्ता, अथिरव्बए तवनियमेहिं भटे। चिरं पि अप्पाण किलेखदत्ता, न पारए होइ हु संपराए ॥४१॥ पोल्ले व मुट्ठी जह से असारे, अयंतिए कूड कहावणे वा । राडामणी वेरुलियप्पगासे, अमहग्घए होइ हु जाणएम् ॥ ४२ ॥ कुसीललिंगं यह धारदत्ता, इसिज्मयं जीविय बृहइत्ता । असंजए संजयलप्पमाणे, विणिघायमागच्छद से चिरं पि ॥४३॥ विसं तु पीयं जह कालकूडं, हणाइ सत्थं जह कुरगहीयं । एसो वि धम्मो विसओबवन्नो, हणाइ वेयाल इवाविवन्नो ॥ ४४ ॥ जे लक्षणं मुविण पउंजमाणे, निमित्तकोऊलसंपगाळे । कुहेडविजासबदारजीवी, न गच्छई सरणं तम्मि काले ॥ ४५ ॥ तमंतमेणेव उ से असीले, सया दुही विप्परियामुवेद । संधावई नरगति